Chittorgarh Tour: राजस्थान का यह जिला राजपूत वीरता और बलिदान का एक शक्तिशाली प्रतीक है। मेवाड़ साम्राज्य की राजधानी रहा चित्तौड़गढ़ 13वीं शताब्दी में अलाउद्दीन खिलजी की घेराबंदी के दौरान रानी पद्मिनी के जौहर की दुखद कहानी को अपने अंदर समेटे हुए हैं। आईए जानते हैं चित्तौड़गढ़ से जुड़ी हुई सभी मुख्य बातें।
क्या है चित्तौड़गढ़ का इतिहास
खिलजी के हमले के बाद रानी पद्मिनी और अन्य शाही महिलाओं ने जौहर कर दिया था। आज भी जब इतिहास के पन्नों पर लिखी इस कहानी को पढ़ा जाता है तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सदियों से चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण होते आए हैं जिसका सामना राणा कुंभा और महाराणा प्रताप जैसे शासको ने डटकर किया।
क्या-क्या देखें
अगर आप चित्तौड़गढ़ जा रहे हैं तो यहां का प्रतिष्ठित चित्तौड़गढ़ किला देखना ना भूले। यह किला 700 एकड़ में फैला है। सातवीं सदी के इस किले में राणा कुंभा पैलेस, पद्मिनी के महल और कालिका माता मंदिर हैं। इसी के साथ यहां महाराणा कुंभा द्वारा बनवाया गया विशाल विजय स्तंभ भी है। यह स्तंभ महमूद खिलजी पर उनकी जीत की याद दिलाता है।
कहां ठहरे
यहां की सभी जरूरी चीजें देखने के लिए एक दिन का समय बहुत है। लेकिन अगर आप ज्यादा दिन यहां रुकते हैं तो सांवरिया जी मंदिर और आसपास के स्थानों को देख सकते हैं। ठहरने के लिए आप चित्तौड़गढ़ में पद्मावती लेक रिजॉर्ट या फिर चितौड़गढ़ फोर्ट हवेली जैसी जगहों पर रुक सकते हैं।
कैसे जाएं
चित्तौड़गढ़ डबोक हवाई अड्डे के जरिए आप आसानी से यहां आ सकते हैं यह हवाई अड्डा 90 किलोमीटर दूर है। इसी के साथ आप जयपुर दिल्ली और उदयपुर जैसे शहरों से ट्रेन के जरिए भी आ सकते हैं।
कब आएं
यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय सर्दियों का ही होता है। आप अक्टूबर से मार्च के दौरान यहां आ सकते हैं। किसी के साथ आप मानसून में भी यहां पर आ सकते हैं और इस अवधि के दौरान आपको हरियाली देखने को मिलेगी।
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