Rajasthan Government Scheme: राजस्थान सरकार ने जैविक खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ाने के लिए एक अहम फैसला लिया है। पशुओं के गोबर से खाद बनाने और इस्तेमाल करने वाले किसानों के लिए सरकार ने गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना शुरू की है। इसके तहत किसान की खेतों में वर्मी कम्पोस्ट यूनिट लगाने पर 10000 की सब्सिडी दी जाएगी। 

किसानों को अपने खेतों में वर्मी कम्पोस्ट यूनिट लगाने होंगे। ऐसा करने से रासायनिक खेती से बढ़ रहे दुष्प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी और मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ने से उपज बढ़ेगी। रासायनिक खेती से कहीं न कहीं खेतों को काफी नुकसान होता है, अगर आप ऐसे में जैविक खेती करते हैं, तो भूमि की क्वालिटी में सुधार होती है और ज्यादा प्रोडक्शन भी ज्यादा होगा। इसके अलावा सरकार से भी आपको मदद मिलेगी।

इन किसानों को मिलेगा योजना का फायदा 

इस योजना का उद्देश्य राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देना है और किसानों को पशुओं के गोबर से जैविक खाद का फायदा बताना है। इस योजना का फायदा उठाने के लिए किसानों को अपने खेत में 20 फीट लंबी, 3 फीट चौड़ी और ढ़ाई फीट गहरी यूनिट बनानी होगी। अगर आप इस योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो आपके घर में जानवर का होना अनिवार्य है। आपके पास गाय, भैंस, उंट आदि पशु होने चाहिए। 

इस योजना का फायदा 48 जिलों के 18 हजार से ज्यादा किसानों को मिलेगा। इस योजना के जरिए हर ब्लॉक से 50 किसानों का सेलेक्शन किया जाएगा। किसान समान्य वर्ग वहीं 3202 किसान एससी और 3071 किसान एसटी होंगे। इस योजना का फायदा हर वर्ग के किसानों को होगा। इस योजना से जैविक खाद का उत्पादन बढ़ेगा और किसानों को भी इसका फायदा होगा। किसान जैविक खाद का उपयोग अपने खेत में कर सकते हैं या फिर किसी को बेचकर भी अच्छी कमाई कर सकते हैं। चलिए अब आपको बताते हैं कि इस योजना का फायदा कैसे उठा सकते हैं। 

कैसे उठाएं इस योजना का फायदा? 

इस योजना का लाभ लेने के लिए पहले किसानों को नजदीकी ई-मित्र या राज किसान साथी पोर्टल पर अपना ऑनलाइन आवेदन करना होगा। 

पात्र किसान ई-मित्र के जरिए आवेदन कर जैविक खाद यूनिट लगाकर प्रोत्साहन राशि पा सकेंगे। 

हर जिले के प्रत्येक ब्लॉक में 50 किसानों का चयन किया जाएगा।

आवेदक किसान राजस्थान का ही निवासी होना चाहिए।  

जैविक खेती करने के लिए आपके पास गाय, बैल, ऊंट या किसी भी जानवर का रहना अनिवार्य है। 

प्रत्येक यूनिट के लिए किसान को पहले 8 से 10 किलो केंचुआ खुद डालना होगा। 

इस योजना का मुख्य उद्देश्य जैविक खेती को बढ़ावा देना है।