Rajasthan Nagaur News: नागौर क्षेत्र में ईसबगोल की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, जो इसकी ठंडी और शुष्क जलवायु के लिए उपयुक्त है। इस फसल के लिए जल निकास वाली हल्की बालुई मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। किसानों को जल निकास की अच्छी व्यवस्था करनी चाहिए और अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से नवंबर के दूसरे हफ्ते के बीच बुआई करनी चाहिए। ऐसे में अगर आप भी इसके बारे में और ज्यादा डिटेल में जानना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें। यहां आपको और जानकारी मिल जाएगी....

ईसबगोल के हैं कई स्वास्थ्य लाभ-

इसके साथ ही आपको बता दें कि ईसबगोल के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिनमें पाचन तंत्र की समस्याओं में राहत, कब्ज की समस्या में राहत, ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर बनाना, वजन घटाने में मदद, और दिल की बीमारियों का जोखिम कम करना शामिल है। आयुर्वेदिक डॉक्टर के अनुसार, ईसबगोल को पानी, दूध या दही के साथ मिलाकर लेने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।

ईसबगोल का अनेकों आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है उपयोग- 

इसके अलावा, ईसबगोल का उपयोग अनेकों आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है। नागौर क्षेत्र में किसान उन्नत तकनीक का उपयोग करके इसकी खेती करते हैं, जो एक मुनाफे की खेती है। इस फसल की खेती कर किसान एक बार में ही लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं।

ये मिट्टी मानी जाती है सबसे उपयुक्त- 

ईसबगोल की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें जीवाश्म की मात्रा ज्यादा होनी चाहिए। खाद का उचित मात्रा में प्रयोग करना भी जरूरी होता है ताकि मिट्टी में पोषक तत्व बराबर रहें।

बड़े पैमाने पर की जाती है ईसबगोल की खेती 

इस प्रकार, ईसबगोल एक औषधीय फसल है जिसकी खेती नागौर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर की जाती है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं।