Jaipur Traditional Guddi : भारत की पारंपरिक कलाएं अब धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है, लेकिन आज भी कई ऐसे लोग हैं जो पारंपरिक कला को आगे बढ़ने का काम कर रहे हैं। इसी से इनका जीवन यापन भी हो रहा है। आज के इस आधुनिक युग में पारंपरिक कलाएं रोजगार का एक माध्यम बनती जा रही है। ऐसे ही एक गुदड़ी बनाने की कला है जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर की ओर अपने कदम को बढ़ा रही है । राजस्थान के जयपुर से लगभग 68 किलोमीटर दूर स्थित किशनगढ़ रेनवाल क्षेत्र में महिलाएं गुदड़ी बनाकर रोजगार का साधन ढूंढ ली है। 

महिलाएं गुदड़ी का निर्माण खराब कपड़ों से करती है। लेकिन इसका निर्माण इस ढंग से किया जाता है कि ये गुदड़ी देखने में बिल्कुल नए और स्टाइलिश प्रतीत होता है। इनका डिमांड बड़े बड़े महानगरों से लेकर विदेशों तक है। गुदड़िया देखने में कलर मिक्सिंग और डिजाइन के कारण बहुत आकर्षक नजर आती है।

किशनगढ़ की गुदड़ियों की मुंबई दिल्ली के बाजारों में धूम

किशनगढ़ और उसके पास के गांव की महिलाएं गुदड़ी बनाने का काम कर रही है। जिससे उनका रोजगार का एक नया आयाम मिल गया है। सांगानेरी प्रिंट की विशेष धागे से गुदड़ी का डिजाइन तैयार किया जाता है। यह डिजाइन बेहद आकर्षक होता है। यहां की गुदड़ीयों ने पूरे देश में धूम मचा रखी है। इसकी डिमांड के देखते हुए राजस्थान के और भी जिलों की महिलाएं इसको बनाने लगी है। घर पर रहकर काम करने का एक अच्छा जरिया साबित हो रहा है।

जयपुर की गुदड़ी का सीमा पर भी डिमांड

एक गुदड़ी का निर्माण करने में महिलाओं को कम से कम सात से दस दिन का समय लगता है। इस गुदड़ी जो जयपुर की महिलाओं के द्वारा तैयार किया जाता है। जिसकी मांग देश के कई शहरों में पहुंच गई है। दिल्ली मुंबई और जयपुर के फाइव स्टार होटल में इन गुदड़ीयों की डिमांड है। नेपाल भूटान और श्रीलंका में भी गुदड़ीयों को भेजा जाता है।

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