Rajasthan Noise Pollution: ध्वनि प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जो बड़ी बड़ी बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, ब्रेन हैम्रेज, काम का पर्दा फटना, को कारण बन सकती है। इसे रोकने तथा कम करने के लिए राजस्थान के तीन जिलों में ध्वनि प्रदूषण जांच केंद्र बनाए जाएंगे।

इसकी घोषणा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने हालही में की है। जयपुर, जोधपुर के कोटा शहरों में 4-4 केंद्र बनाए जाएंगे और यहां से पूरे शहर को ध्वनि प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जाएगी। मॉनिटरिंग का कार्य राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण केंद्र (RSPCB) के द्वारा किया जाएगा। ये ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण केंद्र शहर के आवासीय, व्यावसायिक और औद्योगिक इलाकों में हो रहे ध्वनि प्रदूषण की मॉनिटरिंग करेंगे। 

आम जनता को भी पता चलेगा कितना है ध्वनि प्रदूषण

जयपुर, जोधपुर और कोटा के लोगों को भी शहर में हो रहे ध्वनि प्रदूषण की जानकारी मिलेगी। शहरों में अलग अलग जगह पर एक डिजिटल डिस्प्ले लगाई जाएगी, जहां पर प्रदूषण की सारी जानकारी दी जाएगी। अभी सरकार के द्वारा टेंडर जारी करने की कवायद की जा रही है। माना जा रहा है कि अप्रैल से यह कार्य शुरू हो जाएगा। अभी तक RSPCB के द्वारा महीने में केवल 1 ही बार ध्वनि प्रदूषण की मॉनिटरिंग होती थी, लेकिन इन केंद्रों के होने से यह डाटा हर रोज चेक होगा। शहर की जनता को जागरूक करने तथा शहर में हो रहे ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए यह केंद्र बनाए जाएंगे।

ध्वनि प्रदूषण को रोकना क्यों है जरूरी

आज के समय में वायु प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। रेल का हूटर, कारखाने, तेज आवाज में गाने, पटाखे, परिवहन, सब प्रदूषण को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। ध्वनि प्रदूषण को आम भाषा में शोर कह सकते हैं और इस शोर को मापने के लिए वैज्ञानिक स्तर पर डेसिबल यूनिट का प्रयोग किया जाता है।

एक आम आदमी लगभग 120 लेसीबल तक की आवाज सुन सकता है, लेकिन इससे ज्यादा आवाज आएगी तो उसे शोर कहा जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि 70 डेसिबल तक की आवाज से जैविको पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ध्वनि प्रदूषण गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है इसलिए इसकी रोक होनी जरूरी है।

यह भी पढ़ें - Rajasthan Rail Project: राजस्थान और मध्यप्रदेश को जोड़ेगी ये रेल परियोजना, 27 नए स्टेशन होंगे शामिल, देखें पूरा रोडमैप