Pigeons are Dangerous: कोटा के विश्वविद्यालय में कबूतरों पर की गई रिसर्च में पाया गया कि कबूतर के पंखों की फड़फड़ाहट व इनकी बीट में मौजुद सूक्ष्म जीवाणु और कीटाणु स्वास्थ्य पर खतरनाक असर डाल रहे हैं। इन जीवाणुओं से 60 से ज्यादा गंभीर बीमारियां फैले जाने का खतरा मंडरा रहा है।
कबूतरों से 60 से अधिक बीमारियां
राजस्थान के कोटा में कबूतर पर किए गए शोध में बड़ा खुलासा निकलकर सामने आ रहा है, जिसमें इनके पंखों व बीट में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणु अस्थमा, खांसी, जुकाम और फेफड़े इन्फेक्शन के साथ 60 से अधिक बीमारियों के कारण बन सकते हैं। इस समस्या पर ध्यान नहां दिया गया तो, एक दिन ये भी कोरोना महामारी की तरह प्रचण्ड रूप धारण कर लेगी।
कोटा विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के द्वारा कबूतरों के पंखों और बीट पर शोध का निर्देशन विभागाध्यक्ष डॉ श्वेता गुप्ता, डॉ नेहा चौहान और डॉ पल्लवी शर्मा कर रही थी व शोध को अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशन किए जाने की अनुमति भी मिल गई।
कबूतर के संपर्क से हुई एलर्जी
राजस्थान में दिसंबर 2023 में एक केस आया, जिसमें कबूतर के संपर्क में आने से एक 10 साल की बच्ची को एलर्जी हुई और फिर उसके फेफड़े खराब हो गए। बच्ची को सांस लेने में तकलीफ हुई, उसके बाद उसकी जांच करवायी गई। इस जांच की वजह से ही बीमारी का पता चला था।
सांस की बीमारियों में हुई वृद्धि
कई बार पाया गया है कि घर की बालकनी व एसी डक्ट में कबूतर अपने घोंसले बना लेते है और बाद में उनकी बीट व पंख बालकनी में इकट्ठे हो जाते है, जिसकी वजह से जब हम अपनी बालकनी की सफाई करते समय इनके कीटाणु सांस लेते समय मुंह और नाक से शरीर में प्रवेश कर 60 से ज्यादा बीमारियां फैला सकते है। इस रिसर्च में बीमारियों का एक आकड़ा सामने आया, जिसमें बीते 5 सालो में श्वसन जैसी बीमारियां 10 से 15 फीसद बढ़ी हैं।
कबूतरों को दाना डालने बैन
कोटा में अभी इसके बारे में खुलासा हुआ है, बल्कि अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, न्यूजीलैंड जैसे देशों में तो कबूतर को पालने व दाना डालने पर भी प्रतिबंध है।
संक्रमण से बचाव
अगर आप कबूतर के संक्रमण से बचे रहना चाहते हो तो अपने घर की बालकनी, छत और ऐसी स्थानों स्थानों पर दाना ना डाले जहां अक्सर आपका आना जाना रहता है, बल्कि उसकी जगह खुले मैदान में दाना डाले लेकिन इसमें भी ये ध्यान रखें कि दाना डालते समय अपना मुंह किसी कपड़े से ढक ले। जिससे उनके कीटाणु सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश ना कर पाएं।
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