Bundi News: राजस्थान जिसका नाम सुनते ही यहां की परंपरा और प्रथाओं के साथ गांवों की झलक सामने आ जाती है और झलक सामने आएं भी क्यूं नही क्योकि राजस्थान अपने अलग अंदाज के बारे में जाना जाता हैं।
गांवों की अनोखी संस्कृतियों ने ही राजस्थान को एक पहचान दी है। राजस्थान जिसमें शहर गुलाबी नगरी, नीली नगरी व सफेद नगरी के नाम से जाने जाते है, वही यहां एक ऐसा भी गांव है जिसे विधवाओं के गांव के नाम से जाना जाता हैं।
बूंदी का बदनाम गांव
राजस्थान के बूंदी जिले से 85 किलोमीटर दूर स्थित बुधपुरा गांव है, इस 4,500 की आबादी वाले बुधपुरा गांव को बरड़ क्षेत्र का हिस्सा कहा जाता है। जो विधवाओं के गांव के नाम से भी जाना जाता है। इस गांव की चौका देने वाली बात तो ये है कि इस गांव के पुरुषों को बुढ़ापा नहीं आता, बल्कि वो जवानी मे ही मर जाते है। जिस वजह से इस गांव की अधिकत्तर औरते कम आयु में ही विधवा हो जाती है।
कम उम्र में मरने का कारण
बूंदी का बुधपुरा गांव जिसके नजदीक इलाकों में हर तरफ खदानें ही खदानें हैं, जिस वजह से अन्य राज्यों से दस हजार मजदूर यहां काम करने आते है और इसके बाद वे यहीं बस जाते हैं।
इस गांव के आस पास खदानो में काम करने के अलावा कोई आय का कोई और साधन नहीं, जिसकी वजह से गांव के लोगों के पास केवल एक ही विकल्प होता है, अपने परिवार के पालन पोषण करने के लिए जिसकी 80 फीसदी पुरुष पत्थरों की घिसाई का काम करते हैं, जिससे घिसाई करते समय पत्थर का बुरादा धीरे धीरे इन लोगों के सीने में जम जाता है, और वे सिलिकोसिस जैसे रोग से ग्रसित हो जाते है। जिस कारण उनकी कम उम्र में ही मौत हो जाती हैं।
स्थानीय लोगों का डेथ वॉरन्ट
पत्थर की घिसाई के दौरान पत्थर धूल मिट्टी की वजह से हुए सिलिकोसिस रोग से ग्रसित होने पर वो अपनी गरीबी की वजह से इस बीमारी का इलाज नही करवा पाते है, जिसकी वजह से जवानी की उम्र में ही वो गुजर जाते हैं। इस गांव के लोग कम उम्र में ही अधिक आयु के दिखने लग जाते है, जिसकी वजह से कम आयु में पुरूषों में मौत के कारण ये गांव विधवाओं का गांव नाम से बदनाम हो गया।
इस गांव में जांच करवाने पर अगर किसी को सिलिकोसिस पॉजिटिव बता दिया जाता है, तो स्थानीय लोगो द्वारा इसे डेथ वॉरन्ट व भगवान का बुलावा कहकर पुकारा जाता हैं।
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