Rajasthan Farmer Economic Empowerment: राजस्थान का चित्तौड़गढ़ और अन्य 9 जनजाति जिले जैविक कृषि पद्धति से उगाई गई भिंडी और लौकी का गढ़ बनने जा रहे हैं। इन सभी जिलों को भिंडी और लौकी की खेती के लिए विशेषकर चीन गया है। साथ ही इसके अलावा भी किसानों को अपने खेतों में अन्य 6 प्रकार की सब्जियों की खेती करनी होगी। इन जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग ने इन जिलों के किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए कैश क्रॉप से जोड़ा है, जिससे इन किसानों की वर्ष पर्यंत धन आवक चलती रहे। 

जैविक खेती से होगा फायदा

इन जनजाति जिलों के किसानों को जैविक खेती से द्वारा सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिससे ये किसान बिना किसी उर्वरक के जैविक खेती करके सब्जियां उगा सकें। इसमें TAD किसानों को सब्जियों के बीजों से साथ साथ जैविक आदान भी देगी। विभाग के अधिकारी बताते हैं कि 15 फरवरी के बाद की ही खेती जायद की खेती की शुरुआत मानी जाती है। साथ ही जिलों में फरवरी महीने में ही किसानों को खाद और बीज दे दी जाएगी। 

जनजाति किसानों को होगा लाभ

इस प्रकार की खेती और कैश क्रॉप से जुड़ने के बाद छोटी जोत वाले किसानों को अधिक लाभ होने वाला है। लेकिन इसके लिए इस किसानों के पास कम से कम 500 वर्गमीटर खेती की जमीन और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होना चाहिए। किसानों के पास पानी की कमी होने से सब्जियों की खेती करने में कमी आ सकती है। 

पलायन को रोकना और जैविक खेती को बढ़ावा देने का अच्छा मौका

शंकरलाल जाट (उद्यानिकी चित्तौड़गढ़ के महानिदेशक) सिंह बताते हैं कि TAD सब्जियों के बीजों के साथ साथ जैविक खाद भी किसानों को उपलब्ध कराएगी। जिससे किसान बिना केमिकल के सब्जियां उगा सकें। कैश क्रॉप से जुड़ने के बाद किसानों के पास वर्ष पर्यंत धन आवक भी बनी रहेगी। जिससे किसानों और श्रमिकों का पलायन भी काफी हद तक कम होगा। सरकार का मुख्य फोकस किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। जैविक खेती से किसानों को रुबरु भी कराया जाएगा।

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