Rajasthan Historical Places: राजस्थान का किला और गढ़ हमेशा से उसकी आन, बान, और शान का प्रतीक रहे हैं। खासकर, जब बात आती है जूनागढ़ किले की, तो यह न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और शौर्य की भी कहानी बयां करता है। जूनागढ़ किला, जो वर्तमान में बीकानेर में स्थित है, का निर्माण 1589 ई. में महाराजा रायसिंह द्वारा प्रारम्भ हुआ था। यह किला अपने अद्वितीय स्थापत्य और ऐतिहासिक महत्व के कारण जाना जाता है।
जूनागढ़ का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
जूनागढ़ किले का निर्माण ऐसे समय में हुआ जब राजपूताने के दक्षिण भाग में सुरक्षा के दृष्टिकोण से गढ़ों का निर्माण एक आवश्यक आवश्यकता बन गया था। इस क्षेत्र में ऊंची पहाड़ियों का उपयोग किले बनाने के लिए किया जाने लगा था। लेकिन थार के रेगिस्तान की भौगोलिक विषमताओं के कारण जूनागढ़ का किला अपनी अलग तकनीक के साथ विकसित हुआ। इसका निर्माण राजपूतों की परंपराओं और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।
बीकानेर राज्य के पहले शासक
महाराजा रायसिंह बीकानेर के पहले शासक थे जिन्होंने "महाराजाधिराज" की उपाधि ग्रहण की। इससे पहले के शासक केवल "राव" के खिताब तक सीमित थे। इस उपाधि के तहत किले का निर्माण राजनीतिक महत्त्व रखता था, क्योंकि यह न केवल सुरक्षा का प्रतीक था, बल्कि एक शासक की सत्ता और प्रभुत्व का भी प्रमाण था।
मुगलों का प्रभाव
1593 ई. में, मुगल सम्राट अकबर ने रायसिंह को जूनागढ़ की जागीर प्रदान की, जिससे किले का नामकरण "जूनागढ़" किया गया। यह नाम उस समय के गौरवमयी क्षणों का प्रतीक है। इस किले का निर्माण कार्य लगभग 5 वर्षों तक चला और यह किला धीरे-धीरे उत्तर पश्चिमी राजस्थान के धान्वन श्रेणी का सर्वश्रेष्ठ किला बन गया।
स्थापत्य
जूनागढ़ किले का स्थापत्य अद्वितीय है। इसका आधार चतुर्भुजाकार है, और चारों ओर सुरक्षा के लिए 20 फीट चौड़ी और 25 फीट गहरी खाई है, जिसमें हमेशा पानी भरा रहता था। किले में 37 विशाल बुर्ज हैं, जो 40 फीट ऊंचे हैं। किले का आंतरिक भाग भी उतना ही कलात्मक और भव्य है, जिससे यह विश्व धरोहर का हिस्सा बनने के लिए योग्य बनता है।
सांस्कृतिक महत्व
जूनागढ़ किला लाल और पीले पत्थरों से बना है, जो इसकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं। यहां की मूर्तियां, जैसे सूरजपोल के दोनों ओर स्थित हाथी पर आरूढ़ पाषाण मूर्तियां, किले की ऐतिहासिकता को दर्शाती हैं। जूनागढ़ किला न केवल एक संरचना है, बल्कि यह एक जीवंत इतिहास है, जो मुगलों की शक्ति और संस्कृति के विकास को दर्शाता है।