Hadi Rani: राजस्थान में एक रानी ने पति प्रेम के साथ वतन से मोहब्बत के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। ये रानी हाड़ी, उनके पति राजा राव रतन सिंह और रानी की वतन के लिए मोहब्बत की मिसाल है। रानी हाड़ी की ये कहानी 16वीं शताब्दी की है। उस समय मेवाड़ के राजा राज सिंह थे और उनके सामंत सलुंबर के राव चुंडावत रतन सिंह थे। रतन सिंह का विवाह हाड़ा राजपूत की लाडली हाड़ी से हुआ था। रानी का वास्तविक नाम सलेह कंवर था। रानी के हाथों की मेहंदी छूटी भी नहीं थी कि राजा को रतन सिंह क युद्ध के लिए जाना पड़ा। 

रानी से दूर नहीं जाना चाहते थे राजा

राजा रतन सिंह ने अपनी सेना को युद्ध के लिए तैयारी करने के लिए कह दिया लेकिन राजा रतन सिंह रानी से इतना प्यार करते थे कि उन्हें रानी से एक पल के लिए भी दूर जाना मंजूर नहीं था। जब रानी को इस बात का पता चला, तो उन्होंने राजा को समझाया और युद्ध के लिए तैयार करके जीतकर वापस आने के लिए कहते हुए विदाई दी। 

युद्ध के दौरान भी रानी की फिक्र

राजा युद्ध के लिए चले तो गए लेकिन उनका ध्यान रानी की तरफ ही था। राजा ने अपने एक सैनिक को रानी के पास भेजकर उनका संदेश लाने को कहा। सैनिक रानी के पास संदेश लेकर पहुंचा और फिर रानी का संदेश लेकर राजा के पास पहुंचा। इसके बाद राजा ने वापस वही किया लेकिन इसके बावजूद राजा का मन नहीं लग रहा था। रानी राजा का संदेश पढ़ते हुए सोच में डूब गईं और सोचने लगीं कि इस तरह राजा का सारा ध्यान तो मेरी तरफ ही लगा रहेगा, तो वो युद्ध कैसे जीत पाएंगे?

रानी ने अंतिम निशानी के रूप में भेजा अपना शीश

इसके बाद रानी ने सैनिक को कहा कि मैं संदेश के साथ राजा के लिए अपनी अंतिम निशानी भेज रही हूं। ये निशानी राजा राव चुण्डावत रतन सिंह को दे देना। इसके बाद रानी ने अपना सिर काटकर सैनिक के हाथों राजा के पास भिजवा दिया। राजा ने रानी की आखिरी निशानी देखकर दुख व्यक्त किया और फिर शत्रुओं पर काल की तरह टूट पड़े। राजा ने अंत तक पूरा ध्यान लगाकर युद्ध लड़ा और जीत गया।

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