Pushkar History: भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक पुष्कर, राजस्थान के अजमेर जिले के उत्तर पश्चिम में स्थित है। 510 मीटर की ऊंचाई पर तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा यह शहर राजस्थान के ‘कमल के फूल’ के रूप में जाना जाता है। पुष्कर को हिंदू धर्म के पांच प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है, जो इसे हजारों भक्तों और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनाता है। पुष्कर का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यहां की संस्कृति, परंपराएं और उत्सव भी इसे देश और दुनिया में एक खास स्थान प्रदान करते हैं।

पुष्कर का अद्वितीय ऊंट मेला

पुष्कर शहर अपने आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ अपने ऊंट मेले के लिए भी प्रसिद्ध है। यह मेला न केवल भारत का बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा ऊंट मेला है। हर साल यहां करीब 50,000 ऊंट लाए जाते हैं, जो राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों से ऊंटपालकों, जिप्सी और स्थानीय संगीतकारों के साथ मेले में भाग लेते हैं। यहां ऊंट दौड़, जिप्सी संगीत पर जनजातीय नृत्य, मूंछ प्रतियोगिता और रस्साकशी जैसी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जो पर्यटकों के लिए एक अद्भुत अनुभव होता है।

इस मेले की शुरुआत मुख्य रूप से ऊंटों और घोड़ों की खरीद-फरोख्त से होती है। मेले में न केवल देशभर से बल्कि दुनियाभर से करीब 200,000 से ज्यादा पर्यटक आते हैं, जो पुष्कर के इस अनोखे मेले का आनंद लेते हैं।

गुलाबों का पुष्कर

पुष्कर को केवल तीर्थ स्थल के रूप में ही नहीं, बल्कि 'रोज गार्डन ऑफ राजस्थान' के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर गुलाब की खेती के लिए मशहूर है और यहां उगाए गए गुलाब न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं। पुष्कर के हरे-भरे गुलाब के बागानों में हर वर्ष हजारों पर्यटक आते हैं और यहां की सुंदरता और प्राकृतिक वैभव का आनंद उठाते हैं।

ब्रह्मा मंदिर का अनोखा इतिहास

पुष्कर का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है भगवान ब्रह्मा का मंदिर। इस मंदिर का धार्मिक महत्व अनोखा है क्योंकि ब्रह्मा को समर्पित पूरे विश्व में सिर्फ पांच मंदिर हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन मंदिर पुष्कर में स्थित है। यह माना जाता है कि पुष्कर झील में ब्रह्मा ने एक कमल का फूल गिराया था, जिसके बाद से ही इस स्थान का महत्व बढ़ गया।

हालांकि इस मंदिर का कोई लिखित इतिहास नहीं है, फिर भी यह लगभग 2000 साल पुराना माना जाता है। मुगल शासक औरंगजेब द्वारा इसे नष्ट कर दिया गया था, लेकिन बाद में स्थानीय शासकों द्वारा इसका पुनर्निर्माण किया गया।

सावित्री देवी मंदिर और ब्रह्मा का श्राप

पुष्कर के धार्मिक इतिहास से जुड़ी एक और रोचक कहानी है देवी सावित्री और भगवान ब्रह्मा की। यह कहा जाता है कि जब ब्रह्मा ने अपनी दूसरी पत्नी से विवाह किया, तो उनकी पहली पत्नी सावित्री ने उन्हें श्राप दिया कि पूरे संसार में कहीं भी उनकी पूजा नहीं होगी, सिवाय पुष्कर के। यही कारण है कि भगवान ब्रह्मा का प्रमुख मंदिर केवल पुष्कर में ही है। सावित्री का मंदिर भी पुष्कर में ही स्थित है, जो एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और यहां से पूरे शहर का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है।

पुष्कर की सांस्कृतिक धरोहर

पुष्कर एक ऐसा शहर है जो न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी विविधता और सांस्कृतिक धरोहर भी इसे विशेष बनाती हैं। यहां का पुष्कर मेला और गुलाब की खेती इस शहर को बाकी जगहों से अलग पहचान देती है। हर साल नवंबर में जब सर्दियों की गुलाबी ठंड शुरू होती है, तो पुष्कर का अद्भुत सौंदर्य और उसके मंदिरों की भव्यता यहां आने वाले हर व्यक्ति को मंत्रमुग्ध कर देती है।