Rajasthan Tourism: अजमेर का नाम भारत में प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर वाला शहर है। अजमेर दोनों धर्म यानी हिंदू और मुस्लिम के लिए एक महत्वपूर्ण जगह है। यहां पुष्कर में तीर्थ स्थल है, तो वहीं अजमेर शहर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भी है। यहां लोग देश भर से आते हैं, साथ ही साथ यहां विदेशी पर्यटक भी काफी संख्या में आते हैं।

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह

अजमेर एक प्रमुख धार्मिक स्थल और सांस्कृतिक स्थल है, जो कि अपनी सूफी परंपरा और ऐतिहासिक धरोहर के लिए काफी प्रसिद्ध है। इस शहर का केंद्रबिंदु है ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पवित्र दरगाह, जिसे दरगाह शरीफ भी कहा जाता है।

इस दरगाह पर ना सिर्फ मुसलमान आते हैं, बल्कि हर धर्म के लोगों का भी इस जगह में काफी श्रद्धा है। ख्वाजा साहब जिन्हें ‘गरीब नवाज’ के नाम से जाना जाता है। 

जैन मंदिर 

राजस्थान का जैन मंदिर, जिससे जैन धर्म के लिए तीर्थ स्थल माना जाता है। यह मंदिर वास्तुकला और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर विशेष रूप से अपने सोने से सुसज्जित मंडप और बारीक नक्काशी वाले स्तंभों के लिए जाना जाता है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान आदिनाथ की दिव्य प्रतिमा है, जो जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर के रूप में पूजनीय है।

तारागढ़ किला 

अरावली पर्वत की ऊंचाइयों पर स्थित तारागढ़ किला, जिसे “अजमेर का पहरेदार” कहा जाता है। अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह किला न केवल राजपूताना शौर्य की कहानी कहता है, बल्कि यहां से अजमेर का मनोरम दृश्य भी देखने को मिलता है। 12वीं शताब्दी में निर्मित यह किला अजयपाल चौहान द्वारा बनवाया गया था। यह किला रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था और कई ऐतिहासिक लड़ाइयों का साक्षी रहा है।

आनासागर झील

आनासागर झील, अजमेर की एक अद्भुत कृत्रिम झील,अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। 12वीं शताब्दी में चौहान राजा अर्नौराज(अन्नाजी) द्वारा निर्मित इस झील का नाम उन्हीं के सम्मान में रखा गया था। झील के किनारे बने सुंदर बगीचे जैसे दौलत बाग और पानी में सूर्यास्त का मनमोहक दृश्य इसे पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाता है।

कुतुबुद्दीन मस्जिद

ढ़ाई दिन का झोंपड़ा, अजमेर की एक ऐतिहासिक मस्जिद, अपनी अनोखी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इसे 1192 ईस्वी में अफगानी सेनापति मोहम्मद गोरी के आदेश पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाया था। इस मस्जिद का निर्माण केवल ढाई दिनों में पूरा किया गया था, जिससे इसका यह अनोखा नाम पड़ा।

हिंदू और इस्लामिक स्थापत्य शैली के मिश्रण से बनी इस संरचना में intricate नक्काशी और पत्थरों पर की गई शिल्पकला इसे एक अद्वितीय धरोहर बनाती है। यह मस्जिद भारत की विविध सांस्कृतिक परंपराओं और इतिहास का प्रतीक है और आज भी इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों को आकर्षित करती है।