Rajasthani Language: राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए कई बार मांग उठाई गई है। इसके लिए प्रदेश में कई आंदोलन भी किए जा चुके है। इसके लिए राज्य के युवा नेता और शिव विधायक रवींद्र सिंह भाटी ने भी कई बार मांग उठाई है। उन्होंने अपनी भाषा को मान्यता दिलाने की शपथ भी खाई थी। साथ ही आरएएस कोचिंग 'स्प्रिंग बोर्ड' के अध्यापक राजवीर सिंह ने भी कई बार माषा को मान्यता दिलाने की कोशिश की है। 

मुख्य सचिव ने लिखा है पत्र 

इस बार फिर राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने के लिए लोगों की ओर से मांग उठाई जा रही है। यह पहल शिक्षा मदन दिलावर की ओर से शुरू की गई है। मान्यता प्राप्त करने के लिए सुधांश पंत ने पत्र लिखा है। बता दें कि सुधांशु राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव है। यह पत्र भारत सरकार के गृह सचिव गोविंद मोहिल को लिखा गया है, जिसमें राजस्थानी भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश की है। 

जानें क्या लिखा है पत्र में?

मुख्य सचिव द्वारा लिखे गए पत्र में राजस्थानी भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करने को कहा गया है। साथ ही वस्तुनिष्ठ मानदंड तैयार करने के लिए सीताकांत महापात्र की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी की सिफारिश में कई भाषाओं को संवैधानिक दर्जा देने के लिए पात्र बताया गया है। 

साल 2003 में विधानसभा में पारित हो चुका है संकल्प 

जानकारी के लिए बता दें कि राजस्थान की लोकल भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए पहले ही राजस्थान के विधानसभा में पारित किया जा चुका है। भाषा को देश के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का संकल्प साल 2003 में राजस्थान विधानसभा में पारित किया जा चुका है। अब केवल भारत सरकार द्वारा मंजूरी का इंतजार है। फिलहाल यह मामला गृह मंत्रालय में विचाराधीन है।

माना जा रहा है कि जल्द भारत सरकार की ओर से भी इसे मंजूरी दे दी जाएंगी। राज्य सरकार के मुख्य सचिव द्वारा जारी पत्र में मांग की गई है कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए यथोचित आदेश प्रदान किए जाए।