Samadhishwar Mahdev Temple: विश्व विख्यात राजस्थान के चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर समाधीश्वर महादेव का एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में आसपास के लोगों के साथ ही देश और दुनिया से भी लोग दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर में बनी शिवलिंग के पीछे दीवार पर त्रिमूर्ति यानी ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिवशंकर की एक तस्वीर है। कहा जाता है कि ये दुनिया का एकलौता ऐसा मंदिर है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और शंकर जी एक ही मूर्ति में विराजमान हैं। चित्तौड़गढ़ के राजा- महाराजा युद्ध पर जाने से पहले यहां आकर पूजा करते थे और अपनी जीत की कामना करते थे। इस मंदिर का निर्माण लगभग 1000 साल पहले किया गया था। 

एक तस्वीर में त्रिदेव

ये तीन चेहरे सत यानी सत्यता, रज यानी वैभव और तम यानी क्रोध के प्रतीक हैं। लोगों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण मालवा के राजा भोज ने कराया था। सन् 1427 मे इस मंदिर का जीर्णोद्धार चित्तौड़ के महाराजा मोकल ने कराया था। इस मंदिर में एक पुरानी शिलालेख है, जो सन 1150 ईस्वी का है। इसके अलावा यहां एक शिलालेख है, जो सन 1428 का है और इसमें महाराणा मोकल के बारे में लिखा है। 

वास्तुशास्त्र के अनुसार किया गया निर्माण

इस मंदिर को मोकलजी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार इस मंदिर का निर्माण किया गया है। राजा भोज ने वास्तु शास्त्र पर विशेष ध्यान दिया था। उन्होंने इस मंदिर की नींव कमल के फूल पर रखवाई थी। इस मंदिर की रक्षा के लिए परिक्रमा में 24 देवियों की मूर्तियां बनाई गयी हैं। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि जो भी दंपति अन्य भावना से इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। उन्हें पहले शुद्धिकरण के लिए मंदिर की परिक्रमा करना चाहिए और तन मन की शुद्धि करके ही भगवान के दर्शन करने चाहिए। 

मंदिर के तीन द्वार

मंदिर के तीन द्वार हैं, भगवान को बुरी दृष्टि से बचाने के लिए तीनों दरवाजों पर विशेष नियम किये गए हैं। इसके अलावा विजय स्तंभ और समाधीश्वर मंदिर के बीच खुला समतल भाग महाराणाओं और राजपरिवार का श्मशान स्थल हुआ करता था। यहां पर बहुत सी क्षत्राणियों ने एक साथ जौहर किया था।