Social media influence on Childs: आज का युग सोशल मीडिया का युग है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल आज की तारीख में हर कोई कर रहा है। चाहे वह बड़ा हो या छोटा। नाबालिक बच्चों में सोशल मीडिया चलाने का क्रेज अलग ही है। देश में लगभग 62 प्रतिशत बच्चे सोशल मीडिया की गिरफ्त में हैं। सोशल मीडिया पर बोल्ड और अश्लील कॉन्टेक्ट भरा पड़ा है, जो बच्चों को गलत रह पर ले जाता है। जिसकी वजह से बच्चे अपनी सही रह से भटक जाते हैं। तरह तरह की रील और शॉर्ट विडियोज बच्चों को भ्रमित करती हैं। चैटिंग ऐप जैसे इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, स्नैपचैट पर बच्चे घंटों घंटों बातें करते रहते हैं।
आजकल कच्ची उम्र के बच्चे अधिकतर सोशलेडिया का इस्तेमाल करते हैं। लड़का और लड़की आपस में चैट करते रहते हैं और गलत इंसान भी इसका फायदा उठा ले जाता है। परिवार वालों की बिना मर्जी के ही भागकर शादी करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसमें बालिगों की संख्या कम है और नाबालिको की संख्या बालिगों से 3 गुनी हो चुकी है। पिछले 5 सालों में बालिग लड़कियों के घर से भागकर शादी करने के केस 6134 सामने आए हैं। साथ ही भागकर नाबालिग के शादी करने के 18,552 केस सामने आए हैं।
अभिभावकों को थोड़ा सतर्क होना होगा
मनोविज्ञान विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को खुला छोड़े लेकिन इतना भी नहीं कि वे गलत काम करने लगे और आपको पड़ा ही न लगे। 10 साल से बड़े बच्चों को अपनी निगरानी में रखना चाहिए। बच्चों को शीशे के सामने ज्यादा देर खड़े रहने पर खुद को थोड़ा सतर्क कर लें। बच्चों को पढ़ाना अपनी मर्जी के बिना कोई नई चीज न दिलाए। साथ ही बच्चों से बातें करें और उनकी बातों पर ध्यान दे कि वे क्या और किसके बारे में ज्यादा बोल रहे हैं।
प्रदेश में नाबालिग और बालिग लड़कियां
नाबालिगों के कुल केस 18,552 हैं। जिनमें चालान 8,204 केसों का पेश किया गया है। इसके अलावा FIR 9969 की लगाई जा चुकी है और 379 केसों को जांच अभी तक पेंडिग है। जिनकी जांच पूरी हो चुकी है, उनमें से 10,144 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
बालिग लड़कियों के कुल 6,134 केस दर्ज किए गए है और इनमें से 1282 के ही चालान पेश हुए हैं। इसके अलावा 4769 FIR लगाई गई हैं। जिनमें से 83 केसों की जांच अभी पेंडिग है और 1780 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके अलावा प्रदेश में 8 से 16 साल तक के 62 प्रतिशत बच्चे भी गिरफ्त में हैं, जिन्होंने कोई संगीन अपराध किया है।
बच्चों को सही समय पर मिलनी चाहिए यौन शिक्षा
8-16 साल तक के बच्चों का दिमाग परिपक्व नहीं होता है। उनमें मैच्योरिटी नहीं होती। इसलिए वे काल्पनिक और वास्तविक दुनिया में फर्क नहीं कर पाते। हार्मोन्स का प्रभाव पड़ने से भी बच्चे गलत काम की तरफ झुक जाते हैं और हार्मोन्स के प्रभाव से बच्चे शारीरिक रूप से बच्चियों की ओर आकर्षित हो जाते हैं और उन्हें यह नहीं पता होता कि यह आकर्षण है कोई प्यार नहीं। इसलिए बच्चों को सही समय पर यौन शिक्षा दिया जाना भी आवश्यक है। सरकार भी आने वाले समय में इसे प्रभावी रूप से लागू कर देगी।
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