Renewable Energy: राजस्थान जैसे मरुस्थलीय राज्य में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। इसी संभावना को मद्दे नजर रखते हुए राजस्थान सोलर संगठन ने राज्य भर में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए सरकार से एक आवश्यक मांग की है।

अलग विभाग की मांग 

दरअसल इस वर्ष के राइजिंग राजस्थान सम्मिट में करीब 35 लाख करोड़ के समझौता पर हस्ताक्षर किया गया। जिसमें से 28 लाख करोड़ का समझौता सिर्फ नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र से जुड़ा हुआ था। राजस्थान सोलर संगठन के अध्यक्ष सुनील बंसल ने बताया कि इतने बड़े निवेश को अगर सही मायने में राज्य के हित के लिए उपयोग में लाना है, तो उसके लिए आवश्यक है कि एक अलग विभाग मंत्री और अधिकारियों की टीम को नियुक्त किया जाए। उन्होंने जयपुर में सोलर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को स्थापित करने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित करने की भी मांग की।

बजट बढ़ाना होगा

संगठन के सीईओ नितिन अग्रवाल ने भी इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि केंद्रीय बजट में सोलर ग्रिड के लिए जो 1500 करोड़ की राशि आवंटित की गई है यह पर्याप्त है। उनके अनुसार इस राशि को बढ़ाकर 15000 करोड़ कर देना चाहिए।इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि सोलर सेल पर लगने वाली बेसिक कस्टम ड्यूटी में किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की गई है। बल्कि इसे एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में ट्रांसफर कर दिया गया है। प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के बारे में भी उन्होंने जानकारी दी कि 20000 करोड़ के बजट से लगभग 10 लख घरों में सोलर पैनल लगवाए जा सकेंगे।

सौर उद्योग को मिलेगा बढ़ावा

सोलर पैनल उत्पादन से संबंधित उद्योगों से जुड़े अन्य प्रतिनिधियों ने भी अलग विभाग बनाने की मांग की है। इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए सोलर पैनल के मॉड्यूल और दूसरे उपकरण बनाने वाले उद्योगों को भी प्रोत्साहित करने के लिए सरकार से विशेष योजनाओं की मांग की है। राजस्थान सोलर संगठन का कहना है कि अगर सौर ऊर्जा के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रोजगार और कर का सृजन करना है तो सरकार को इसे अलग विभाग बनाने की आवश्यकता जरूर पड़ेगी। इतना ही नहीं सरकार को इस क्षेत्र में विशेष बजट की घोषणा भी करनी पड़ेगी।

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