Rajasthan: आज के दौर में मशीनरी चीजों का उपयोग ज्यादातर हो रहा है, जोकि लोगों को पसंद भी आ रहा है। ऐसे में शिल्प कारीगरों की संख्या मौजूदा समय में बहुत कम है, और अगर है भी तो उनकी व्यावसायिकता पर भी संकट मंडरा रहा है। कई ऐसी शिल्पकलाएं हैं जो खत्म होने की कगार पर हैं। इसे पुनर्जीवित करने के लिए राजस्थान के जोधपुर में शिल्पकारीगरों की प्रदर्शनी हुई है। ऐसा भारत में पहली बार हुआ है जहां सिर्फ शिल्प कारीगरों को प्रदर्शनी के लिए मंच प्रदान किया गया है ।
अलग-अलग राज्यों के कई शिल्प कलाओं को मिली जगह
बता दें कि कारीगरों की 'कढ़ाई कला' को मंच देने वाली देश की पहली प्रदर्शनी राजस्थान के जोधपुर में हुई है। इसके साथ ही कढ़ाई से जुड़ी इस प्रदर्शनी में देश- विदेश के 20 से अधिक रचनाकारों की 60 कलाकृतियां प्रदर्शित की गई है। वही शिल्प कारीगरी के इस प्रदर्शनी में भारत के अलग-अलग राज्यों के शिल्प कलाओं को जगह दी गई है। जिसमें बिहार की खेता रजाई, लखनऊ की चिकनकारी,पश्चिम बंगाल की कांथा, सहित कढ़ाई की विविध तकनीकों को प्रदर्शनित किया गया है।
हमारा उद्देश्य कढ़ाई की कलात्मक क्षमता को उजागर करना
इस प्रदर्शनी कला के संयोजक कौल बताते हैं कि "हमारा उद्देश्य कढ़ाई को एक गतिशील और अभिव्यंजक कला के रूप में प्रदर्शित करना है। साथ ही प्रदर्शनी निदेशक जूही पांडे ने कहा कि यह प्रदर्शनी कौशल और प्रौद्योगिकी का एक संगम है जो कढ़ाई में भारत की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी का उद्देश्य हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के महत्व पर है।
शिल्पकलाओं के कारीगरों को इस तरह का मंच प्रदान करना भारत में पहली बार हुआ है। राजस्थान के जोधपुर में हुआ यह प्रदर्शनी शिल्प कलाओं और इससे जुड़े कारीगरों की बेहतरीन उदाहरण को भी पेश करता है।