Rajasthan: श्रीमद्भगवद्गीता हिंदू धर्म का पवित्र ग्रंथ माना जाता है। इसके श्लोकों का उल्लेख अक्सर होता है। इसमें क़रीब 18 अध्याय और 700 से अधिक श्लोक हैं। ऐसे में इसे पढ़ना हर किसी के बस की बात नहीं होती। लेकिन कहा जाता है कि जो भी इस ग्रंथ को पढ़ लेता है उसे अपने जीवन के सारी कठिनाईयों के रास्ते मिल जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान के उदयपुर की रहने वाली समाज सेविका और लेखिका विजयलक्ष्मी बंसल ने श्रीमद्भगवद्गीता को मात्र 70 पृष्ठों में समेट दिया है। आइए जानते हैं विजयलक्ष्मी बंसल के इस कीर्तिमान के बारे में…
समस्त मानव जाति का ग्रंथ है गीता
70 पृष्ठों में गीता लिखने वाली लेखिका एवं समाजसेवी विजय लक्ष्मी बंसल कहती हैं कि श्रीमद्भगवद्गीता, एक ऐसा ग्रन्थ है जो किसी भी संप्रदाय विशेष का ना होकर, समस्त मानव जाति के लिए है। इसमें भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध के समय, अपने कर्तव्यों से विमुख हुए और परिवार प्रेम में उलझे अर्जुन को राह दिखाया था। इसके लिए जीवन के गूढ़ रहस्यों को उपदेश के रूप व्यक्त किया गया है।
निःशुल्क वितरित करने की तैयारी
उनका कहना है कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अपनी भावी पीढ़ियों को यह मौका दें कि वे भी इस महाग्रन्थ को आत्मसात कर सकें। लेखिका ने बताया कि आने वाले दिनों में वो इसे विद्यालयों और महाविद्यालयों में निःशुल्क वितरित करेंगी ताकि यह पुस्तिका जन जन तक पहुँच सके और लोगों तक श्रीमद्भगवद्गीता का सन्देश पहुंचे और वो इसे आत्मसात कर सके।
पुस्तिका की उल्लेखनीय विशेषताओं में इसकी सरल भाषा शैली और इसका साइज़ है जो कि बहुत ही आसानी से आपकी जेब, पर्स या बैग में गुटके (धार्मिक ग्रन्थ का छोटा रूप) के रूप में रखा जा सकता है।
कैसे किया ये कारनामा?
बंसल का कहना है कि जब मैं स्वयं श्रीमद् भागवत गीता का अध्ययन कर रही थी तो मैंने कुछ पर्सनल नोट्स बनाए थे। ये इतने सुव्यवस्थित थे कि धीरे से इन्हें पुस्तक का रूप देने का विचार आया ताकि गीता को आमजन तक भी सरलता से पहुंचाया जा सके।