Rajasthan Mata Temple:  राजस्थान में देवी मां के कई ऐसे प्राचीन मंदिर स्थित हैं जहां आज भी भक्तों की भारी भीड़ माता के दर्शन के लिए उमड़ती है। इन्हीं मंदिरों में से एक है सुगाली माता मंदिर जहां स्थित माता के 10 सिर और 54 हाथ है। देश की यह एक मात्र ऐसी प्रतिमा है। राजस्थान के पाली जिले में स्थित माता का यह मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है।  

आऊवा राजघराने की कुलदेवी

आऊवा राजघराने के लोग सुगाली माता को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं। काले पत्थर से निर्मित माता की मूर्ति में 54 हाथ और 10 सिर बने हुए है। मूर्ति के इतिहास की बात करें तो यह प्रतिमा पहले आऊवा किले में मौजूद थी, लेकिन अंग्रेजों द्वारा उसे खंडित कर दिया गया और इसे अपने साथ ले गए। इस मूर्ति का इतिहास काफी महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि आऊवा शासक ठाकुर कुशाल सिंह चम्पावत माता के परम भक्त थे। 

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भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र 

पाली जिले से केवल 50 किमी की दूरी पर स्थित आऊवा गांव अपने साहस व बलिदान के लिए पूरे राज्य में जाना जाता है। यहां स्थित सुगाली माता मंदिर भक्तों की आस्था व शक्ति का प्रमुख स्थल है। माता के जीवन व उत्पत्ति के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है लेकिन स्थानीय लोगों का मानना हैं कि माता प्राचीन समय की एक देवी है जिनकी पूजा मारवाड़ इलाके में होती आ रही है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि वे एक साधारण महिला थी जो एक महान योद्धा के साथ साथ शासक भी थी जो गांव लोगों की हमेशा रक्षा करती थीं।  

1857 में माता के वरदान से फिरंगियों को पिलाया था पानी 

1857 प्रथम स्वाधीनता संग्राम के दौरान आऊवा शासक ठाकुर कुशाल सिंह चम्पावत ने अंग्रजी हुकुमत को घुटनों पर बैठने पर मजबूर कर दिया था। इस दौरान उन्होंने पॉलिटिकल एजेंट मॉक मेंशन का सिर धड़ से अलग कर किले की प्राचीर पर टांग दिया था।

मान्यता है कि इस युद्ध में तेज आंधी के समय औरतें तलवार चलाती हुई नजर आती थीं। कहा जाता है कि राजा को हमले की सूचना देवी पहले से उन्हें दे देती थीं। इसीलिए लोग युद्ध करने से पहले माता की पूजा करते थे। बताया जाता है कि अंग्रेज माता की मूर्ति पर गाय का खून चढ़ाकर उसे अपने साथ ले गए थे। साथ ही माता के वरदान से 1857 में गांव के लोगों ने अंग्रेजों को पानी पिलाया था।