Shivratri 2025: राजस्थान के कोटा शहर के के रेतवाली में स्थित 1500 साल पुराना नीलकंठ महादेव मंदिर एक ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिरों में से एक है। इस मंदिर से जुड़ी कथाएं भी आश्चर्य चकित करने वाली है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां केवल शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही कष्टों का निवारण हो जाता है। 

पाताल में समा रही है शिवलिंग 

कोटा के हृदय में बसा यह मंदिर अपनी अनूठी महिमा के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां की शिवलिंग स्वयं प्रकृट हुई थी। यहां सोमवार को भक्तों की लंबी लाइनें लगती है। इसी कारण से यहां की पवित्र शिवलिंग हर समय फूलों और बेलपत्रों से ढका रहता है। लोगों का कहना है कि मंदिर में विराजमान शिवशंभू पाताल लोक में समाते जा रहे हैं। 

100 साल से जल रही है अखंड ज्योति

नीलकंठ महादेव मंदिर के पुजारी शिव शर्मा ने जानकारी दी कि शिव शंकर भोलेनाथ की शिवलिंग यहां अपने आप प्रकृट हुई थी। इसी कारण से मंदिर की महिमा बढ़ती गई है। यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। सावन व शिवरात्रि के मौके पर यहां दर्शन करने के लिए हजारों भक्तों की लाइनें लगती है।  

1500 साल पुराने इस मंदिर में लगभग 100 साल से अखंड ज्योति जल रही है। साथ ही देश और विदेश से भगवान शिव के भक्त नीलकंठ महादेव के दर्शन करने कोटा आते हैं। 

मिलता है निरोगी होने का आशीर्वाद

इस मंदिर में सवा लाख महामृत्युंजय जाप के साथ महामृत्युंजय रुद्राभिषेक भी किया जाता है। मान्यता है कि मंदिर में नमक चमक का पाठ, 11 बार रुद्राभिषेक करने और 11 नमस्ते पाठ करने से रोग दूर होते है साथ ही हमेशा निरोगी रहने का आशीर्वाद मिलता है।

 नंदलाल शर्मा का परिवार पिछले कई सालों से इस मंदिर में पूजा अर्चना करता आ रहा है। कहा जाता है कि नीलकंठ महादेव मंदिर में पूजा अर्चना करने से लोगों के सभी कष्ट और रोग दूर जाते हैं।

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