Banki Mata Jaipur: राजस्थान माता के शक्तिपीठों का केंद्र माना जाता है। राज्य में माता के कई प्राचीन मंदिर स्थित है, जो अपनी ऐतिहासिक इतिहास के लिए प्रचलित है। इन्हीं मशूहर शक्तिपीठों में से एक है बांकी मंदिर जो जयपुर जिले से लगभग 50 किलोमीटर की दूर पर जमवारामगढ़ उपघंड में आता है। इस मंदिर में हर दिन हजारों श्रध्दालू आकर माता के दरबार में माथा ठेकते हैं। लेकिन नवरात्री के अवसर पर ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर का निर्माण 1000 साल पहले भांगी मीणा के द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर को रायसर दरबार के समय तैयार करवाया गया था। 

रथ की सुगनी की क्यों होती है पूजा

पौराणिक कथा के अनुसार 1000 साल पहले माता ने एक गवाले को पहाड़ चिरकर दर्शन दिए थे। माता ने कहा था कि मेरे रूप को देखकर डरना मत पर पहाड़ के पत्थर गिरने से वह गवाला डर गया और बांकी माता के रथ के आगे लगी सुगंनी आगे नहीं जा पाई। आज भी लोग माता के रथ की इस सुगंनी की पूजा करते हैं। 

मंदिर की सुंदरता 

माता का यह विशाल मंदिर 1350 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया है। मंदिर जाने के लिए आपको सर्पिलाकार पक्का रास्ता बना हुआ है। यहां पहुंचने के लिए आपको 750 सीढ़ियों का मार्ग पूरा करना पड़ेगा। इस रास्ते के 370 सीढ़ियों के बाद आपको केसर सिंह और 410 सीढ़ियों  के बाद पृथ्वी सिंह नामक दो भैरव मंदिर दिखाई देगें। 

24 घंटे जलती है अखंड ज्योती 

इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर आपको गणेशी का मंदिर दिखाई देगा। साथ ही आगे चलकर लांगड़ा भैरव मंदिर भी स्थित है। इस मंदिर में हर समय देसी घी से माता की अघंड ज्योती जलती है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां के स्थानीय लोग हर दिन ढ़ोल नगाड़ों से सुबह शाम माता की आरती करती है। इसके अलवा हर साल नवरात्र की अष्टमी के दिन यहां की पहाड़ी पर स्थित तलहटी परिसर में मेला का आयोजन किया जाता है।