Bhuwal Kali Nagaur: क्या आप जानते हैं कि राजस्थान के नागौर जिले से लगभग 105 किलोमीटर दूर भवाली गांव में काली मां का एक ऐसा मंदिर है, जहां पर उन्हें प्रसाद के रूप में ढाई प्याला शराब चढ़ाई जाता है। यह मंदिर भुवाल काली मंदिर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि देवी के मुंह में शराब का प्याला लगाते ही शराब गायब हो जाती है। अगर ढाई प्याले से एक बूंद भी शराब कम रहती है, तो माता उसे ग्रहण नहीं करती।
ढाई प्याला पीती हैं मां काली
कहा जाता है कि यहां पर मां मन्नत के मुताबिक शराब गृहण करती हैं। मन्नत पूरी होने पर मां शराब गृहण करती हैं। यदि मन्नत में किए गए वादे से एक बूंद भी शराब कम होती है, तो मां उसे नकार देती हैं। पुजारी शराब से प्याला भरकर मां काली के सामने रख देता है और अपनी आंखें बंद कर लेता है। यह प्रक्रिया तीन बार की जाती है। दो बार तो प्याला बिल्कुल खाली हो जाता है, लेकिन तीसरी बार प्याला आधा खाली होता है। इसीलिए माता को लेकर कहा जाता है कि मां ढाई प्याला ही शराब पीती हैं।
क्या है इतिहास
इस मंदिर को लेकर एक कहानी काफी प्रचलित है। कहा जाता है कि एक बार कुछ डाकू लोगों से माल लूटकर लाए और एक चबूतरे पर बैठकर आपस में बांटने लगे। उसे चबूतरे पर मां की एक मूर्ति थी और उन लोगों को मां की मूर्ति का कुछ चमत्कार दिखा था। इसी बात से प्रभावित होकर उन डाकुओं ने उस लूट के माल से माता का मंदिर बनाया। 13वीं सदी में बने इस मंदिर के नाम पर ही गांव का नाम भुवाल रखा गया। यह पूरा मंदिर लाल रंग के पत्थर से बनाया गया है। प्राचीन काल की मूर्तियां मंदिर की दीवारों पर बनी हुई हैं। यहां पर प्राचीन काल की एक शिलालेख भी है, जिसे 12वीं सदी का बताया जाता है।