Butati Temple: लकवा एक ऐसी बीमारी है, जो इंसान के पूरे शरीर को कमजोर कर देती है। इसमें न तो इंसोन चल पाता है और न ही बैठ पाता है। इस बीमारी के कई इलाज दुनिया में मौजूद हैं, लेकिन क्या आपने सुना है कि किसी मंदिर में केवल दर्शन करने से ही इस रोग से सात दिन के अंदर ही फर्क नजर आने लगता है। यह धाम राजस्थान के नागौर जिले से करीब 50 किमी की दूरी पर कुचेरा के पास स्थित है। 

संत चतुरदास जी की है जन्मभूमि 

इस स्थान को संत चतुरदास जी महाराज की जन्मभूमि माना जाता है। करीब 600 साल पहले उनका जन्म चारण कुल में हुआ था। माना जाता है वे अपनी सिद्धियों से लकवा के मरीजों को दवाई दिया करते थे। आज भी यहीं परंपरा चलती आ रही है। मंदिर में बनी उनकी समाधी के 7 फेरे लेने बाद मरीज रोगमुक्त हो जाते हैं। 

मंदिर की मान्यता 

ऐसा माना जाता है कि मरीज को यहां सात दिन तक आरती और समाधि की परिक्रमा करनी पड़ती है। इसके बाद मरीज तुरंत ही अपनी परेशानियों से ठीक हो जाता है। लोग अपने परिवार के साथ देश-विदेश से यहां लकवा का इलाज करवाने आते हैं। कई खास अवसरों जैसे एकादशी, जन्माष्टमी आदि दिनों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है।    

लकवा मरीजों के लिए खास नियम 

आपको बता दें कि बुटाटी धाम में आप केवल सात दिन और रात ही रह सकते हैं। इससे ज्यादा दिन आपको मंदिर में रूकने की अनुमति नहीं होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां मरिजों की भीड़ आती रहती है। यहां आने के लिए आपको पहले मंदिर की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा उसके बाद ही आपको यहां आने की अनुमति मिलती है। इसके बाद आपको रहने के लिए कमरा और दवाई दी जाती है। सात दिन पूरे होते ही आपको कमरा खाली करना होगा। यहां आए लोगों को 90 फीसदी तक का फायदा हुआ है। इस चमत्कारी मंदिर की महिमा पूरी दुनिया में जानी जाती है।