Chittorgarh Unique Temple: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित श्री बानोड़ा बालाजी मंदिर में एक अनोखी परंपरा है, जहां श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में नोट और सिक्के दिए जाते हैं। यह मंदिर श्री लक्ष्मी रानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। अब आप भी सोच रहे होंगे इस मंदिर में सिक्के या नोट क्यों दिए जाते हैं, तो आइए हम आपको बताते हैं। 

ये हैं इस मंदिर की विशेषताएं

- यह मंदिर श्री बानोड़ा बालाजी मंदिर परिसर में स्थित है।
- मंदिर के पट दो बार खुलते हैं: शरद पूर्णिमा और एक अन्य अवसर पर।
- श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में एक पैकेट दिया जाता है, जिसमें पुष्प, यज्ञ हवन कुण्ड की भभूत, पंच मेवा, नोट और सिक्के होते हैं।
- पैकेट में 1, 2, 5, 10 रुपए के सिक्के और 10, 20, 50, 100, 200, 500 रुपए के नोट हो सकते हैं।

मंदिर की मान्यता

- मान्यता है कि यहां से वितरित सिक्के और नोट के प्रसाद को संभाल कर रखने से घर परिवार में आर्थिक समृद्धि आती है।

लगती है श्रद्धालुओं की भीड़

- मंदिर के पट खुलने पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।
- श्रद्धालु नगर एवं आसपास के गांवों सहित चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, कोटा, उदयपुर, नीमच, मंदसौर, सिंगोली आदि स्थानों से आते हैं।

इसकी है इस मंदिर की व्यवस्था

- बानोड़ा बालाजी सेवा मंडल के कार्यकर्ता श्रद्धालुओं को व्यवस्थित दर्शन करने में मदद करते हैं।
- मंदिर में सजीव झांकियां सजाई जाती हैं और छप्पन भोग लगाया जाता है।

ये है महत्व

- ये मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
- यहां की अनोखी परंपरा श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।

मंदिर का समय

- मंदिर के पट दो बार खुलते हैं: शरद पूर्णिमा और एक अन्य अवसर पर।
- श्रद्धालु सुबह से कतार में लग जाते हैं।

यह मंदिर अपनी अनोखी परंपरा और महत्व के कारण श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।