Dance on Burning fire: राजस्थान अपने संस्कृति के लिए देश भर में प्रसिध्द है। यहां कई भव्य और सुंदर इमारत आर्कषण का केंद्र हैं। यहां कई चमत्कारिक मंदिर भी हैं, जिन्हें देखने दूर - दूर लोग आते हैं। राजस्थान की संस्कृति और परंपरा भी दुनिया भर में ख़ास महत्व रखती है। प्रदेश में कई ऐसे प्राचीन सांस्कृतिक नृत्य हैं जिन्हें जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। यहां एक अग्नि नृत्य होता है जिसमें लोग आग में नृत्य करते हैं।
कहां होती है ये परंपरा
दरअसल,भीलवाड़ा के मांडलगढ़ में खटवाड़ा गाँव में नाथ समाज में ये परंपरा विद्यमान है। यहां औघड़ नाथजी आसन धाम पर राज शाही जमाने से ही नाथ समाज के लोग प्रसिध्द अग्नि नृत्य करते हैं। इस नृत्य को देखने दूर - दूर से लोग पहुंचते हैं।
औरंगजेब के जमाने से चली आ रही परंपरा
औघड़नाथजी आसन धाम पर महारुद्र यज्ञ और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देर रात तक भीलवाड़ा का प्रसिद्ध ‘अग्नि नृत्य’ किया जाता है। इस नृत्य के लिए 5 क्विंटल सूखी लकड़ियों से गांव के चौक पर अंगारों की सेज सजाई गई। इन दहकते अंगारों और लपटों के बीच नाथ संप्रदाय के अनुयायी नाचते हुए निकलते हैं। कहा जाता है कि इस नृत्य को देखने के लिए दूर - दूर से लोग आते हैं। इस नृत्य में अलग- अलग मुद्राओं का प्रदर्शन किया जाता है।
जसनाथ महाराज के शिष्य रुस्तम महाराज ने किया था डांस
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार नाथ समाज के आराध्य जसनाथ महाराज ने सन 1539 को बीकानेर जिले कतरियासर गाँव में दावड़ा सरोवर तालाब के किनारे अवतार लिया था। मात्र 12 साल की उम्र से ही वो भक्ति में लीन हो गए थे। उस समय औरंगज़ेब शासन था, उन्होंने जसनाथ महाराज को चैलेंज दिया कि अगर आपके सनातन धर्म में ताक़त है तो दिल्ली में आकर अपनी ताक़त दिखाओ।
औरंगज़ेब ने माना सनातन धर्म है ताक़त
कहते हैं चैलेंज को स्वीकार कर महाराज के शिष्य रूस्तम महाराज दिल्ली आए। तब औरंगज़ेब ने एक गड्ढा खुदवाया और उसमें आग भर दिया। तब रुस्तम महाराज ने अंगारों पर अग्नि नृत्य किया और उससे तरबूज़ निकाला। तब औरंगज़ेब ने माना कि आपके सनातन धर्म में ताक़त है।

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