Gangaur festival bikaner: गणगौर उत्सव राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को दर्शाता है। राज्य के बीकानेर शहर में आज ब्राह्मण स्वर्णकार समाज द्वारा धूमधाम से मनाया गया। 300 वर्ष पुराने इस त्योहार को सांस्कृतिक परंपराओं से मनाया गया है। 
                                 
होलिका दहन के बाद मनाया जाता है गणगौर
बीकानेर के ब्राह्मण स्वर्णकार समुदाय द्वारा होलिका दहन के बाद से गणगौर उत्सव की तैयारियां शुरू कर दी जाती है। समाज के लोग मिलकर रिख्या से पिंडोली बनाते है। यह परंपरा कई सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है। समुदाय का हर घर गणगौर माता की पिंडोली स्थापित कर उसकी पूजा अर्चना की जाती है। जिस घर में भी गवर माता की स्थापना की जाती है वहीं महिलाएं व लड़कियां सुबह और शाम को माता की आरती करती है। साथ ही रंगोली बनाकर अपनी भावनाएं प्रकट करती है। 

ये भी पढ़ें:- Navratri 2025: राजस्थान के नौ ऐतिहासिक शक्ति पीठ, दर्शन मात्र से ही बरसती है माता की असीम कृपा
 
लाभार्थी परिवार बांटता है मेंहदी 
चैत्र महीने की तीज पर लाभार्थी परिवार पूरे समाज के घरों में मेंहदी बांटता है और उन्हें बड़े हर्षोल्लास के त्यौहार में आमंत्रित करता है। तीज के दिन समाद की सभी महिलाएं एक साथ गणगौर माता की मूर्ति को टिकला रोटी का भोग लगाती है। यह परंपरा भक्तों की आस्था और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है। 
 
चौथे दिन निभाई जाती है यह रस्म 
इस त्यौहार के चौथे दिन समुदाय की महिलाएं द्वारा अनूठी परंपरा निभाई जाती है। इसमें सभी महिलाएं गवर माता की सवारी को सिर पर उठाकर पूरे समुदाय में घूमती हैं। समाज के हर घर में माता का खोल भरने की रस्म भी निभाई जाती है, जिसके जरिए समुदाय के लोगों द्वारा माता से समाज की खुशहाली और समृद्धि की कामना की जाती है। 
 
राजस्थान का सबसे प्रमुख त्योहार है गणगौर
जानकारी के लिए बता दें कि गणगौर हिंदू कैलेंडर के पहले महीने चैत्र यानी मार्च-अप्रैल के महीने में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार राजस्थान के प्रमुख उत्सव है। इस त्यौहार में भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट रिश्ते की पूजा की जाती है। विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके इसे मनाया जाता है।