Gautameshwar Mahadev Pratapgarh : यदि घर में या किसी मंदिर में रखी कोई मूर्ति खंडित हो जाती है तो उसे किसी नदी में बहा दिया जाता है या फिर उसे पीपल के पेड़ के नीचे रख दिया जाता है, क्योंकि हिंदू मान्यताओं के मुताबिक कभी भी खंडित मूर्ती की पूजा नहीं की जाती है। ऐसा करना शास्त्रों में अशुभ माना गया है।
लेकिन प्रतापगढ़ में एक ऐसा शिव मंदिर है जहां कई सालों से खंडित शिवलिंग की पूजा होती आ रही है। मंदिर की महिमा को सुनकर अलग-अलग शहरों से यहां महादेव के दर्शन के लिए लोग आते हैं। आइए मंदिर से जुड़ी कथा और मान्यताओं के बारें में जानते हैं।
जीवहत्या के पाप से मिलती है मुक्ति
यदि किसी व्यक्ति द्वारा गौहत्या या किसी जीव हत्या का पापा होता है तो गौतमेश्वर महादेव के मंदिर के मोक्षदायिनी कुंड में स्नान करने से उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसका प्रमाण पत्र मंदिर के पुजारी द्वारा दिया जाता है। पौराणिक कथा के मुताबिक सप्तऋषियों में से एक गौतम ऋषि पर भी जब गौहत्या का आरोप लगा था तब उन्होंने इस मंदिर के कुंड में ही अपने पाप मिटाए थे।
गजनवी ने डरकर कराया मंदिर का निर्माण
सदियों पहले जब मोहम्मद गजनवी देश के मंदिरों पर आक्रमण कर रहा था, तब वह गोतमेश्वर महादेव शिवलिंग पर प्रहार करने पहुंचा था। पहले प्रहार में महादेव ने अपने चमत्कार से दूध की धारा निकाली। उसके दूसरे प्रहार से दही की धारा निकली, तीसरे प्रहार पर महादेव ने उसको हराने के लिए मधुमक्खियों के झुंड को गजनवी और उसकी सेना के पीछे लगा दिया।
यह सब देखकर गजनवी चौंक गया और उसने वापस से मंदिर का निर्माण कराया और साथ में एक शिलालेख भी बनवाया। इस शिलालेख में लिखा है कि यदि कोई भी मुसलमान इसे नष्ट करने की कोशिश करेगा तो उसे सुअर की मौत मरना पड़ेगा। अगर कोई हिंदू इसे तोड़ने का प्रयास करेगा तो उसे गौहत्या का आरोपी माना जाएगा। इस मंदिर के बाहर आज भी यह शिलालेख बना हुआ है।