Govind Dev Ji Mandir: राजस्थान के जयपुर में श्रीकृष्ण का एक ऐसा मंदिर है, जो खुद उनके परपोते वज्रनाभ जी ने बनाया था जो अनिरुद्ध के बेटे थे। यह है गोविंद देव जी का मंदिर जो विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां बहुत दूर- दूर से लोग दर्शन करने आते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी मे यहां पर सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर की खासियत है कि इस मंदिर मे शिखर नहीं है। इस मंदिर मे श्रीकृष्ण के साथ राधाजी भी विराजमान हैं। 

नहीं दिखते हैं राधा-रानी के पैर

गोविंद देव जी मंदिर मे श्रीकृष्ण के साथ राधा रानी भी विराजमान हैं। इस मंदिर मे श्रीकृष्ण की रंगीन मूर्ति है और राधा रानी के पैर नहीं दिखते। कहा जाता है कि अगर राधा रानी के पैर दिख जाते हैं, तो मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है। क्योंकि पूरी दुनिया में पूजे जाने वाले श्रीकृष्ण भी राधा रानी के चरणो का स्पर्श करते थे। इसलिए अधिकतर मंदिरों मे राधा रानी के पैर ढके रहते हैं। सिर्फ जन्माष्टमी या राधा अष्टमी के अवसर पर ही कुछ समय के लिए राधा रानी के पैरों की झलक दिखाई जाती है। 

कहां है ये मंदिर

यह मंदिर राजस्थान के जयपुर के सिटी पैलेस के जय निवास गार्डन मे स्थित है। यह चंद्र महल के पूर्व में बने जननिवास बगीचे के मध्य अहाते में है। गोविंद देव जी की मूर्ति पहले वृंदावन में थी जिसको राज सवाई जयसिंह द्वितीय ने अपने परिवार के देवता के रूप मे तब स्थापित किया था जब औरंगजेब मंदिरों को नष्ट कर रहा था। 

कितना पुराना है गोविंद देव जी का मंदिर

बता दें कि गोविंदजी की मूर्ति लगभग 5600 साल पुरानी है जिसे श्रीकृष्ण के परपोते ने 13 साल की उम्र मे बनाया था। उन्होंने अपनी दादी के श्रीकृष्ण का वर्णन करने पर बनाई गयी थी जिसे पहले वृंदावन में स्थापित किया गया था। बाद मे जब औरंगजेब मूर्तियों को नष्ट कर रहा था, तब ये मूर्ति जयपुर लाई गयी। यहां सन 1735 में महाराज सवाई जयसिंह द्वितीय ने उनका मंदिर बनवाया। इस मंदिर मे कृष्ण जी की रंगीन मूर्ति है जिसे बज्रकत के नाम से जाना जाता है। 

किस पत्थर से बनी है मूर्ति

बता दें कि श्रीकृष्ण की मूर्ति जो गोविंद देव जी मंदिर मे स्थापित है, उसे कृष्ण के परपोते ने अपनी दादी के कहने पर उस पत्थर से बनाया गया था, जिस पर कंस ने उनके 7 भाईयों का वध किया था। 

राजा को आया महल छोड़ने का स्वप्न

कहा जाता है कि सवाई जयसिंह पहले सूरज महल मे रहते थे। एक रात उन्होंने सपना आया कि उन्हें यह मंदिर खाली कर देश चाहिए क्योकि ये महल श्री कृष्ण के लिए बना है। इसके बाद राजा ने सूरज महल छोड़ दिया और चंद्र महल चले गए।