Rajasthan Temple: राजस्थान का मशहूर बाबा रामदेवरा मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहां मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालुओं द्वारा घोड़े चढ़ाएं जाते है। इस घोड़ों की देखभाल मंदिर ट्रस्ट की ओर बनाएं गए अस्तबल में की जाती है। भक्तों द्वारा चढ़ाएं गए इन घोड़ों को यहां रखा जाता है। कई सदियों से लोग यहां प्रतीक के रूप में कपड़े के बनें घोड़े चढ़ाते आ रहे हैं। कई सालों से देश के विभिन्न राज्यों से लोग यहां दर्शन करने आते हैं और मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में घोड़े का दान करते हैं। यहां मारवाड़ी और काठियावाड़ी नस्ल के लगभग 6 घोड़ें मौजूद हैं। 

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दो साल पहले शुरू हुई थी परंपरा 
भारत पाक के सीमावर्ती जिले में स्थित बाबा रामदेव की समाधि पर घोड़े चढ़ाने की परंपरा दो साल पहले शुरू की गई थी। इस परंपरा के बाद से बाबा रामदेव समाधि समिति की ओर से इन घोड़ों की अलग व्यवस्था रूणीचा कुआं पर की गई है। यहीं इन घोड़ों की देखभाल की जाती है। 

घोड़ों की सुविधा के किए गए है इंतजाम 
मंदिर कमेटी के द्वारा बनाई गई घुड़साल में आधा दर्जन घोड़ों की देखभाल की जा रही है। उनकी सुविधा के लिए यहां सभी इंतजाम किए गए हैं। जैसे सूखे व हरे चारे, दाने तथा पानी। साथ ही घोड़ों की उचित निगरानी और देखभाल के लिए घोड़ों के जानकार को भी नियुक्त किया गया है। राजस्थान के अलावा गुजरात और अन्य प्रदेशों में द्वारकाधीश के अवतार बाबा रामदेव परचों और मनोकामना पूरी होने के दौरान पूजे जाते हैं। 

बाबा की ध्वजा उनकी आस्था का प्रतीक माना जाता है, साथ ही लोग कपड़े से बने घोड़े चढ़ाते हैं। मान्यता है कि बाबा रामदेव की परचों के साथ साथ घोड़े उनकी पसंद भी माने जाते हैं। इसलिए कुछ लोग असली घोड़े तो कुछ लोग कपड़े के घोड़ों का दान करते हैं। जहां भी बाबा रामदेवजी का नाम आता है, वहां उनके पंसदीदा लीले घोड़े का नाम जरूर लिया जाता है।