Jaipur Galtaji Temple History: राजस्थान को ऐतिहासिक धरोहर के लिए भी जाना जाता है। यहां पर पुराने किले, पुराने मंदिर और इतिहास से जुड़ी हुई काफी चीजें देखने को मिल जाती हैं। यहाँ पर काफी ऐसे मंदिर हैं, जिन्हें पुराने समय में राजाओं ने बनवाया था। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे राजा सवाई जयसिंह ने बनवाया था। इस मंदिर को बंदरों का मंदिर भी कहा जाता है। 

कैसा है मंदिर और किसने कराया निर्माण

कहा जाता है कि ये मंदिर प्रागैतिहासिक समय में बनाया गया था। इसे 16वीं शताब्दी में राजा सवाई जयसिंह के सलाहकार और दीवान राव कृपाराम ने बनवाया था। गलता जी मंदिर का नाम संत गालव के नाम पर पड़ा था क्योंकि उन्होंने इस जगह पर 100 सालों तक तपस्या की थी। इसके बाद भगवान खुद यहां प्रकट हुए और संत को दर्शन दिए। इतना ही नहीं ये भी मान्यता है कि यहां पर बहने वाला झरना और तालाब, कुंड आदि भी भगवान के आशीर्वाद के कारण ही मिला था। 

यह मंदिर जयपुर के रीगल शहर के बाहरी इलाके में है, जिसे अरावली की पहाड़ियों के ऊपर बनाया गया है। इस मंदिर के आसपास प्राकृतिक सौंदर्य की भरमार है। यहां का सौंदर्य लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मंदिर के पास बहता हुआ झरना यहाँ की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। इसका पानी कई तालाबों और कुंडों में जाता है। 

कैसी है मंदिर की बनावट

यह मंदिर गुलाबी पत्थरों से बना है। इसकी छत पर खूबसूरत और सूक्ष्म नक्काशी कराई गयी है। इसमें ये मुख्य मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। इस मंदिर को राजमहल की तर्ज पर बनाया गया है। यहां पर बंदरों की काफी संख्या है, इसलिए इसे बंदरों का मंदिर भी कहा जाता है। इस भव्य मंदिर के अंदर भी कई मंदिर हैं, जहां श्रीराम और श्रीकृष्ण का भी मंदिर बनाया गया है। 

क्यों कहा जाता है बंदरों का मंदिर

इस मंदिर में काफी ज्यादा संख्या में बंदर रहते हैं, जो मंदिर में ही ही घूमते हैं लेकिन वे कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। यहां बहुत से बंदर आते हैं और बंदरों को खाना भी खिलाते हैं और उनसे काफी लगाव रखते हैं, इसके कारण इसे बंदरों का मंदिर भी कहा जाता है।