Jamwai Mata Temple: जयपुर से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जमवाय माता का मंदिर जयपुर की कुलदेवी का मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर राजस्थान के समृद्ध संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत का प्रमाण है। कछवाह राजवंश की कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित या मंदिर वीरता देवी हस्तक्षेप और परंपरा की गाथा गाता है। आज किस लॉक में पड़ेंगे की कैसे इस मंदिर की स्थापना हुई और इसका इतिहास क्या है।

मंदिर का इतिहास

कछवाह शासकों से पहले जमवारामगढ़ में मीनाओं का शासन था। समझा 1100 ईस्वी में महाराज दूल्हेरायजी नरवर ग्वालियर से बारात लेकर जा रहे थे। तभी उनका रास्ता मीनाओं ने रोक दिया। राजा ने कहा की शादी से लौटते हैं यहां पर युद्ध होगा। हालांकि युद्ध तो हुआ लेकिन पूरी बारात घायल हो गई और फिर दुल्हन ने सती होने का फैसला ले लिया। घायल अवस्था में पड़े राजा को बुड़वाय माता ने दर्शन दिए और फिर से युद्ध करके मंदिर बनाने का आदेश दिया।

इसके बाद राजा के साथ साथ पूरी सेना ने फिर से युद्ध किया और जीत प्राप्त की। इसके बाद बुड़बाय माता के मंदिर को जमवाय माता के नाम से बनवाया गया। कुछ वक्त बाद राजा ने यहां पर अपने राज्य का विस्तार करके इस जगह को अपनी राजधानी में बदल लिया। वक्त बिता गया और कुछ वक्त बाद राजा के बेटे ने भी यहां पर युद्ध किया और घायल हो गया लेकिन माता ने उसे गाय का दूध पिलाकर आशीर्वाद दिया और वे फिर से युद्ध में विजय हो गए।

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क्या है खास

यह मंदिर जमवारामगढ़ बांध के आसपास सुंदर पहाड़ियों के नीचे स्थित है। मंदिर के आसपास का वातावरण सुंदरता से भरा हुआ है।  यहां का शांत‌ वातावरण दूर दूर से भक्तों को आकर्षित करता‌ है।  मंदिर के गर्भ ग्रह में जमवाय माता की पवित्र प्रतिमा विराजमान है। परिसर में दाएं ओर गाय के बछड़े की मूर्ति और बाईं ओर माता बुधवे की मूर्ति है। साथ ही इस मंदिर परिसर में एक शिवालय और भैरव बाबा का मंदिर भी है। यह मंदिर पीढ़ियों से कछवाह राजवंश के शाही अनुष्ठानों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आ रहा है।

नवजात राजकुमारों को तब तक रानी निवास से बाहर नहीं ले जाया जाता था जब तक कि उन्हें जब जमवाय माता के दर्शन नहीं मिल जाते।  ऐसा कहा जाता है कि जब जमवाय माता का आशीर्वाद शाही वंश को मजबूत करता है। सदियों से कछवंश के राजा और लोग अटूट भक्ति के साथ जमवाय माता की पूजा कर रहे हैं। नवरात्रि और दशहरा के दौरान मंदिर के सुंदरता और आभा देखने लायक हो जाती है।