Kyara Ke Balaji: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के उपनगर पुर में एक ऐसा चमत्कारी मंदिर स्थित है जहां के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु सालाना आते हैं। क्यारा बालाजी मंदिर की खास बात यह है कि सड़क पर एक 22 फीट ऊंची और 8 फीट चौड़ी चट्टान सीधी खड़ी है। इसी विशाल चट्टान पर 13 फीट लंबी बालाजी की मूर्ति विराजित है। ऐसा माना जाता है कि भगवान ने यहां आकर आराम किया था, जिसकी वजह से इस चट्टान पर उनकी परछाई छप गई है। 

बालाजी का इतिहास 

क्यारा के बालाजी मंदिर के पुजारी के मानें तो इस चट्टान पर पहले एक ऋषि ने हनुमान जी की तपस्या की थी। जिससे खुश होकर बालाजी ने उन्हें दर्शन दिए थे। जिसके बाद भगवान ने इस चट्टान पर कुछ देर आराम किया था तभी से ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी की परछाई यहां छप गई है। कई सालों से लोग चट्टान पर बने बालाजी की मूर्ति की पूजा करते आ रहे हैं। हर 15 दिन के अंदर भगवान का शृंगार किया जाता है। इस मंदिर की मनोकामना है कि जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से यहां आकर दर्शन करता है भगवान उसकी सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। 

मक्का डालने की परंपरा 

इस मंदिर की एक परंपरा सालों से चलती आ रही है। यहां मंदिर के पुजारी और अन्य लोगों द्वारा हर दिन लाखों परिंदों के लिए मक्का डाली जाती है। रोजाना करीब 6 बोरी मक्का परिंदों के खाने के लिए डाले जाते हैं। लोग यहां मक्के का पैकेट लाकर परिंदों को खिलाते हैं। ऐसा माना जाता है कि बालाजी किसी भी रूप में आकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। क्यारा के बालाजी मंदिर में बालाजी की मूर्ति के अलावा परिसर में रखें 8 टन के गदा की भी पूजा की जाती है। हनुमान जयंती, रामनवमी समेत कई खास अवसरों पर यहां भक्तों का तांता लग जाता है।