Dholpur Muchukund Gufa: राजस्थान में कई ऐतिहासिक इमारतें मौजूद है लेकिन एक ऐसी गुफ़ा राज्य के धौलपुर में स्थित है जिसका कनेक्शन सीधा भगवान श्री कृष्ण है। धौलपुर मूल रूप से राजस्थान में स्थित नगर है जिसे 11वीं शताब्दी में राजा धोलन देव द्वारा बनाया गया था। यह शहर अपनी पौरोणिक कथाओं के लिए फेमस है। इन कथाओं में से एक है मुचकुंद ऋषि की कथा जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगें। 

धौलपुर मुचकुंद गुफा का इतिहास 

धौलपुर का पहले नाम धवलपुर था, जिसे समय के साथ बदलकर धौलपुर कर दिया गया। इस नगर की स्थापना राजा धोलन देव के द्वारा की गई थी। आपको बता दें कि 846 ई में चौहान वंश ने इस नगर में शासन किया था। यह नगर ना केवल अपने इतिहास और पौराणिक कथाओं के लिए जाना जाता है बल्कि बला नामक पत्थर के लिए यह शहर बेहद ही फेमस है। 

मुचकुंद ऋषि से जुड़ी कथा 

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि धौलपुर पहले जाट रियासत थी। इस नगर के करीब मुचकुंद ऋषि नामक गुफ़ा बेहद प्रसिध्द है जो गंधमादन की पहाड़ी के अंदर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि जब मथुरा पर कालयवन का आक्रमण हुआ था तब भगवान श्रीकृष्ण भागकर इसी गुफ़ा में आए थे। कालयवन भगवान का पिछा करते हुए इस गुफा में आया था। जब भगवान ने राजा मुचकुंद ऋषि को यहां सोता देखा था, तो उन्हें उत्तराखंड भेज दिया था। इस कथा का वर्णन श्रीमद्भागवत कथा 10,15 में दिया हुआ है। 

धौलपुर की बात करें तो यह शहर भरतपुर के जाट राज्यवंश की एक शाखा का शहर था। भरतपुर के शासक सूरजमल जाट की मृत्यु के बाद धौलपुर को भरतपुर में मिला लिया गया था। यह नगर रेलवे के सामान बनाने और हथकर गलिजा बुनाई एवं कांच का सामान बनाने के लिए जाना जाता है।

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