Achaleshwar Mahadev: राजस्थान में कई सारे शिव मंदिर स्थित हैं। इन मंदिरों को काफी ज्यादा रहस्यमई और प्राचीन बताया जाता है। आज हम आपको अचलगढ़ किले मैं स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में बताने वाले हैं। इस मंदिर को एक विशेष पूजा पद्धति के लिए भी जाना जाता है। यहां पर केवल शिवलिंग की पूजा ही नहीं, बल्कि उनके विशाल अंगूठे की भी पूजा की जाती है। इस अनोखे मंदिर के गर्भ गृह में एक रहस्यमई पातालकुंड भी है। इसकी सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात तो यह है कि अंगूठे पर होने वाले जलाभिषेक का पानी कहां जाता है इसके बारे में आज तक किसी को पता नहीं चला। 

108 शिव मंदिरों में से एक है अचलेश्वर मंदिर

अंकलेश्वर मंदिर माउंट आबू में स्थित भगवान शिव के 108 मंदिरों में से एक है। यह अपनी अनोखी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। माउंट आबू को पुराणों में अर्ध काशी के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ ही अचलेश्वर मंदिर इस मान्यता को और भी विशेष बना देता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां शिवलिंग की नहीं बल्कि शिव जी की अंगूठे और पैरों की पूजा की जाती है। इसे लेकर मान्यता यह है कि भगवान शिव की अंगूठा माउंट आबू को स्थिर रखने में मदद करता है। 

दिन में तीन बार बदलता है शिवलिंग का रंग

अचलेश्वर महादेव के मंदिर का शिवलिंग एक अनोखे रहस्य को अपनी ओर समेटे हुए है। यह दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। सुबह-सुबह इसका रंग लाल रहता है उसके बाद दोपहर में केसरिया हो जाता है और रात होते-होते या श्याम रंग का हो जाता है। इसके अद्भुत कलर परिवर्तन को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इकट्ठा होती है। 

भगवान शिव के पैरों पर स्थिर है माउंट आबू पर्वत

अचलेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव के पैरों और अंगूठा के निशान अभी भी मौजूद हैं। मान्यता है कि यह माउंट आबू को अपने पैरों पर स्थिर रखा है। कभी या निशान गायब हुई तो माउंट आबू का अस्तित्व ही मिट जाएगा। मंदिर में एक भव्य पंच धातु की मूर्ति स्थापित की गई है। अचलेश्वर महादेव मंदिर को प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना गया है।