Mandakini Temple: भगवान गणेश के कई प्राचीन मंदिर पूरे भारत में स्थित है, कहीं भगवान गणेश अपने माता पिता के साथ विराजत है, तो कहीं रिद्धि सिद्धि के साथ। पर क्या आपने कभी नारी गणेश की पूजा होते हुए देखी है?..नहीं तो आज हम बात करेंगे बिजोलिया गांव के प्राचीन मंदाकिनी मंदिर की जो राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के बॉर्डर पर बने भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया गांव में स्थित है। मंदिर की खास बात यह है कि यहां नारी गणेश की दो प्राचीन मूर्तियां स्थापित है। गणेश चतुर्थी जैसे पर्व पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
15 साल पहले स्थापित की गई थी मूर्तियां
मंदाकिनी मंदिर के बाहरी स्तंभ पर आपको नारी गणेश की एक छोटी मूर्ति देखने को मिलेगी वहीं मंदिर के दक्षिण और कोष्ठकों में भी भगवान नारी गणेश की ललितासन मूर्ति बनी हुई है। इस प्रतिमा में नारी गणेश के हाथ में फरसा, गदा, सुंड व मोदक लेते हुए नजर आते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है और इसके इतिहास के बारे में काफी कम लोगों को पता है। माना जाता है कि करीब 15 वर्ष पहले इन मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया गया था।
कौन थे विनायिकी नारी गणेश?
इतिहासकारों के अनुसार विनायिकी नारी गणेश की पूजा कई कारणों से होती आ रही है, जिनमें महामारी, राजभय, टिड्डियों, चूहों आदि कई मान्यताएं शामिल है। बात करें बिजोलिया के इस मंदिर की तो आज भी किसान गणेशजी को खुश करने के लिए उन्हें बीज का भोग चढ़ाते है। माना जाता है कि 12वीं शताब्दी से एक परंपरा चलती आ रही है, जिसमें किसान चूहे को बीज खिलाते हैं और यदि चूहा बीज खा लेता है, तो स्त्री को बीज बचाने वाली व उर्वरा शक्ति संपन्न कहा जाता है। तभी से यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक माना जाता है। कई खास अवसरों पर लोग यहां आकर भगवान गणेश से मन्नतें मांगते हैं।