Mandakini Temple: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में बिजौलिया के प्राचीन मंदाकिनी मंदिर है, जहां गणेश जी को नारी गणेश के रूप में पूजा जाता है। आपने गणेश जी के बहुत से स्वरूपों के बारे में जानते होंगे, लेकिन बिजौलिया के प्राचीन नारी गणेश के स्वरूप के बारे में शायद ही सुना होगा।

बिजौलिया का मंदाकिनी मंदिर भीलवाड़ा का सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इस मंदिर में भगवान गणेश को नर के रूप में नहीं, बल्कि नारी के रूप में स्थापित किया गया है। ये दुनिया का एक ऐसा मंदिर है, जिसमें गणेश के नारी स्वरूप की एक ही नहीं, बल्कि दो-दो मूर्तियां विराजमान हैं। 

64 योगिनियों में मंदाकिनी मंदिर की गणना

इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जिस तरह शिव पार्वती का एक रूप अर्धनारीश्वर है, उसी तरह इस नारी गणेश को भी उनकी पत्नियों के साथ जोड़कर बताया गया है। वे बताते हैं कि शायद ये उनकी पत्नियों के साथ उनका एक स्वरूप है, लेकिन नारी गणेश के इस मंदिर को 64 योगिनियों में एक माना गया है। इसका प्रमाण स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण में भी मिलता है, क्योंकि इस नारी गणेश मंदिर को इनमें वैनायिकी और गजानन कहा गया है।

फसलों को टिड्डी से बचाता है यह मंदिर

बिजौलियों की इस मंदिर में नारी गणेश के स्वरूप को 1300 सालों से पूजते आ रहें है। इसको मानने की परम्परा अभी तक पहले जैसी कायम है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस नारी गणेश स्वरूप की पूजा करने से टिड्डी और चूहे फसलों को बर्बाद नहीं कर पाते हैं। इसके साथ ही लोगों में फैलने वाली महामारी से भी बचाव करती है। 

यहां के कुछ लोगों ने बताया कि इस मान्यता को मानने के पीछे का कारण ये था 1300 साल पहले इस गांव में फसलों में टिड्डी का आंतक बढ़ा था, जिसके कारण कई महामारी फैली थी, जिसका कोई इलाज नहीं था। तब लोगों ने नारी गणेश के इस स्वरूप की आराधना की थी, जिसके कारण लोगों के अनुसार इस समस्या से भगवान गणेश ने फसलों की और लोगों की रक्षा की थी। इसलिए ये परम्परा आज भी निभाई जाती है। 

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