Mehandipur Balaji: राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी के बारे मे तो आप सभी जानते ही होंगे लेकिन क्या आप ये जानते है कि रोजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर के बालाजी मंदिर में बालाजी की पूजा होने से पहले प्रेत राज की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि त्रेतायुग मे ऋषि नीलासुर हुआ करते थे। त्रेतायुग में भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के लिए वनवास गए थे। वहां लंका के राजा रावण ने सीता माता का हरण कर लिया था। हनुमान जी को माता सीता की खोज के लिए लंका भेजा गया था। 

नीलासुर ऋषि को हुआ आभास

लंका पहुंचने के बाद हनुमान ने लंका में उत्पात मचाया और वहां आग लगा दी। यहीं पर उनकी मुलाकात ऋषि नीलासुर से हुई थी। उस समय हनुमान जी की ताकत देखकर उन्होंने अंदाजा लगा लिया था कि ये कोई साधारण बंदर नहीं है। ये कोई दैवीय शक्ति है। तब नीलासुर ने हनुमान जी से उनके आराध्य का नाम पूछा। हनुमान जी ने बताया कि वे श्री राम के भक्त हैं और यहां अपने आराध्य की पत्नी माता सीता से मिलने आये हैं। उन्होंने कहा कि अगर लंकेश माता सीता को नहीं छोड़ता है, तो युद्ध होगा। ये सब सुनने के बाद नीलासुर की श्री राम से मिलने की इच्छा हुई। तब हनुमान जी ने उन्हें वचन दिया कि वे जल्द ही श्री राम उन्हें दर्शन देंगे। 

श्रीराम ने दिया वरदान

लंका विजय करने के समय उन्होंने नीलासुर को दर्शन दिया जिससे उनका जीवन धन्य होगया। तब नीलासुर ने सदा कृपा बरसाने की कामना की। कहा जाता है कि जब श्रीराम धरती छोड़कर बैकुंठ जा रहे थे तब हनुमान जी धरती पर मेहंदीपुर बालाजी के नाम से बस गए। तब श्रीराम ने नीलासुर को याद किया और प्रेतराज सरकार की उपाधि दी। साथ ही ये वरदान भी दिया कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में बालाजी से पहले प्रेतराज सरकार की पूजा की जायेगी।