Moti Dungri Temple: वैसे तो देश भर में गणेश जी के काफी मंदिर हैं और सबकी अपनी ही खासियत है। हालांकि कुछ ऐसे मंदिर हैं जो देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी विख्यात है। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान में भी मौजूद है। हम बात कर रहे हैं जयपुर के मोती डूंगरी मंदिर की। यह तलहटी में बसा एक गणेश जी का मंदिर है, जहां दूर- दूर से भक्त दर्शन करने आते हैं।
रानी के पैतृक गांव से आई थी मूर्ति
इस मंदिर की मूर्ति जयपुर के राजा माधोसिंह की रानी के पैतृक गांव गुजरात के मावली से सन् 1761 में लाया गया था। कहा जाता है कि जयपुर नगर के सेठ पल्लीवाल इस मूर्ति को लेकर आए थे। यह मंदिर भी उन्ही की देखरेख में बनवाया गया था। इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां पर हनुमान जी की तरह ही गणेश जी को भी सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है और उनका श्रृंगार किया जाता है। इस मंदिर में दाहिनी ओर सूंड वाले गणेश जी का विशाल मंदिर है।
इन अवसरों पर लगता है मेला
गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दिवाली और दशहरा के समय पर यहां विशेष तरह का मेला लगता है। इन उत्सवों में 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल होते हैं और भगवान गणेश के इस अवतार के दर्शन करते हैं। जयपुर में मोती डूंगरी गणेश को लेकर काफी मान्यता है। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति ने गाड़ी खरीदकर लाता है तो वो पहले मोती डूंगरी गणेश के पास लाता है। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति की शादी होती है तो शादी का पहला कार्ड भी मोती डूंगरी में लाकर चढ़ाया जाता है और भगवान गणेश को आमंत्रित किया जाता है। गणेश जी शादी में आकर वर वधु को आशीर्वाद देते हैं और शादी अच्छी तरह से पूरी करते हैं।
इस मंदिर में गणेश जी को क्यों चढ़ता है सिंदूर
गणेश पुराण में लिखा है कि गणेश जी मे अपने बचपन में सिंदूर नाम के राक्षस का वध किया था। इसी वजह से गणेश जी को सिंदूर चढ़ाया जाता है। वहीं शिवपुराण में लिखा है कि शिव जी ने क्रोध में आकर जब गणेश जी का सिर काट दिया था। तब शिव जी ने हाथी के बच्चे का सिर गणेश जी को लगाया था। उस समय उस सिर पर सिंदूर लगा हुआ था।