Muchkundeshwar Mahadev Temple: भारत में भगवान शिव के ऐसे कई चमत्कारी मंदिर हैं, जिनकी महिमा ना केवल देश में बल्कि पूरी विश्व में जानी जाती है। इन्हीं भगवान भोले के प्राचीन मंदिरों में से एक मुचकुंदेश्वर महादेव मंदिर, जो राजस्थान के टोंक के नगरफोर्ट तहसील के नैनवां रोड पर बना हुआ है। यह मंदिर एकलौता ऐसा महादेव मंदिर है जहां भगवान की शिवलिंग को बालू की रेत से बनाया गया है। यहां महादेव और मां पार्वती की एक ही रूप में पूजा करने की मान्यता है। लोग बालू की रेत से बनीं शिवलिंग पर सिंदूर का चोला चढ़ाकर शिवशक्ती को प्रसन्न करते हैं।  

900 साल पहले स्थापित हुई थी शिवलिंग 

बता दें कि यह मंदिर खेड़ा सभ्यता के करीब स्थित है, जिसके अवशेष आज भी इतिहासकारों के लिए रहस्य बने हुए हैं। मान्यताओं के अनुसार लगभग 900 साल पहले महादेव के परम भक्त मुचकुंद ने यहां रहकर भगवान को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी, जिसके परिणाम स्वरूप भगवान ने मुचकुंद को दर्शन दिए थे। इन्हीं के नाम पर इस मंदिर को मुचकुंदेश्वर महादेव मंदिर के नाम से कहा जाने लगा। 

शिव-पार्वती की एक रूप में की जाती है पूजा 

मंदिर के पुजारी के मुताबिक इस मंदिर में शिव और पार्वती की एक स्वरूप में पूजा की जाती है। माता के सिंगार के लिए पहले सिंदूर लगाया जाता है उसके बाद शिवलिंग पर सिंदूर लगाकर चोला पहनाया जाता है। 

कई पिढ़ियों से करते आ रहे है मंदिर की सेवा 

यहां के पुजारी बताते हैं कि उनका परिवार सालों से मंदिर की सेवा कर रहा है। उनके पूर्वज यहां के राजा के खास और विश्वास पात्र थे। सदियों से वे और उनका परिवार भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं। 

मंदिर से जुड़ी आस्था 

माना जाता है जो भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर भगवान पर चोला चढ़ाता है, उसका हर दुख भगवान शिव ले लेते हैं और उसकी छोली खुशियों से भर देते हैं।