Nagaur Temple: राजस्थान में वैसे तो कई सारे मंदिर है जो इतिहास और संस्कृति को अपने गोद में समेटे हुए हैं। ऐसा ही एक मंदिर नागौर के खिमसर तहसील में स्थित चावंडिया गांव में है। इस मंदिर को चामुंडा माता के लिए जाना जाता है। नागौर जिले में स्थित या एक ऐसा गांव है जिसके ऊपर चामुंडा माता और नवल दास जी महाराज की विशेष कृपा है।

इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि चामुंडा माता ने यहां के 80 से ज्यादा प्रतिशत लोगों को सरकारी नौकरी दिलाई है। वही नवल दास जी महाराज गांव के लोगों को रोग और कष्ट से मुक्ति दिलाने का काम करते हैं। आई इस मंदिर की विशेषता के बारे में हम आपको बताते हैं।

550 वर्ष पुराना है इसका इतिहास

इस मंदिर के इतिहास को लेकर यह बताया जाता है कि नवल दास जी महाराज का जन्म नागौर के जालौर में 550 वर्ष पहले हुआ था। उन्होंने 15 वर्ष की उम्र में ही अपना घर त्याग दिया था। यहां के लोगों का मानना है कि उनके सपने में पूरी दुनिया के दर्शन हुए थे। इनका विवाह जयपुर के राजा से हुआ था, लेकिन पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई जिसके कारण इन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए आशीर्वाद मांगा। 

गांव को बुरे रोग से दिलाया था मुक्ति

यहां के लोगों का मानना है कि गांव में पहले लोगों के शरीर पर विभिन्न तरह की बीमारियां होती थी। हर एक के शरीर पर फोड़े फुंसी त्यागी निकले हुए थे जिसे कोड कहते हैं। इस गांव को उन्होंने इस बड़ी बीमारी से बचाया था। चमत्कार तो तब हुआ जब उन्होंने गांव के एक निवासी हरि सिंह को किडनी में पथरी होने पर उनको पूरी तरह से ठीक कर दिया था। इसी तरह उन्होंने गांव में एक चमत्कार का रास्ता बनाया। वही जब भी गांव में किसी पशु को दिक्कत होती है, तो नवल दास जी की पूजा करते हैं जिससे उनके पशु ठीक हो जाते हैं। उन्होंने दो गांव अपनी चमत्कारी शक्ति से ही बसा दिए थे। 

नवल दास जी ने खुद ली थी समाधि

यहां के पुजारी का मानना है कि जब 500 वर्ष पहले नवल जी ने अपने शरीर की खुद समाधि ली थी, तो उसकी आकाशवाणी हुई थी। उसे आकाशवाणी में बताया गया था की समाधि स्थल का पुजारी राजपूत होगा। इसे लेकर ऐसा कहा जाता है कि क्षत्रिय पुजारी होंगे तो यह आस्था के दोनों प्रतीक भूमि स्थल पर बने रहेंगे।