Neelkanth Mahadev Temple : नीलकंठ महादेव मंदिर दौसा जिले में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह इतिहास और धर्म दोनों में महान महत्व का मंदिर रहा है। इस मंदिर को एक किंवदंती से जोड़ा जा सकता है जिसमें भगवान शिव, जिन्हें सामान्यतः नीला कंठ कहा जाता है, ने पूरे ब्रह्मांड को बचाने के लिए जहर निगल लिया था। हर दिन भक्तों की भारी संख्या होती है जो भगवान शिव के सामने प्रार्थना करती है, विशेष रूप से शिवरात्रि और सावन के महीने के अवसरों पर। इन अवसरों पर कई भव्य आयोजन भी आयोजित की जाती हैं। मंदिर और इसके प्राकृतिक परिवेश के कारण एक आंतरिक शांति मिलती है जो इसे दर्शन के लिए आदर्श बनाती है। एक धार्मिक स्थल के रूप में, इसकी महत्ता के कारण पूरे वर्ष में महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा यातायात होता है।
इतिहास

यह मंदिर प्राचीन भारत के विभिन्न सांस्कृतिक प्रभावों के जटिल मिश्रण का प्रतीक बना हुआ है। यह देश में आई गंभीर परिवर्तन से अछूता रहा। यह क्षेत्र तभी प्रमुख हुआ जब कुशल अर्थशास्त्रिक शासकों ने 9वीं या 10वीं सदी के दौरान अपने प्रभाव का विस्तार किया। नरायणनाथ मंदिर के इस काल के आस-पास बनाए जाने के लिए जाना जाता है। इस मंदिर की रुड्राक्ष मणियों को दर्शाने वाली एक चित्र आज तक जीवित है, जो यह बताता है कि इसे इस युग में बनाया गया था। मंदिर का निर्माण खारत राजा रावल और उनकी पत्नी रानी कल्याणी द्वारा देखा गया था। इस मंदिर में ऐसी लेखन भी मौजूद हैं जो इसके उद्भव के बारे में संकेत देती हैं।

भगवान राम के बेटे कुश के वंशजों ने किया था स्थापित 

महादेव मंदिर, दौसा को भगवान राम के पुत्र कुश के वंशजों द्वारा बनाया गया था। यह तथ्य उनकी ऐतिहासिक और धार्मिक प्रासंगिकता को और बढ़ाता है। मुष्टा मुद्गल, जो कुश के वंशज हैं और रामायण में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, ने क्षेत्र में अपनी धार्मिक परंपराओं को संरक्षित किया और शिव की पूजा के लिए मंदिर का निर्माण किया।

मंदिर के निर्माण का धार्मिक महत्व ही नहीं है, बल्कि उस समय की वास्तुकला और सांस्कृतिक प्रभाव भी है। लोगों के लिए यह इतिहास मंदिर को और भी दिलचस्प बनाता है, जो भारतीय मिथकों और भारतीय इतिहास से निकटता से जुड़ा हुआ है।
इस प्रकार, महादेव मंदिर का कुश के वंशजों के साथ संबंध इसकी महान ऐतिहासिक गहराई का प्रमाण है और इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाता है।