Rajasthan monument: राजस्थान की पिंक सिटी जयपुर में स्थ्ति ‘पैलेस ऑफ विंड्स’ के नाम से प्रसिद्ध हवा महल पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। राजपूतों की शाही विरासत, वास्तुकला, भक्ति और संस्कृति का यह अद्भुत मिश्रण है। हवा महल को देखने और इसके बारें में जानने के लिए दूर-दराज से लोग बड़ी संख्या में जयपुर आते हैं। 

भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट का आकार 
जयपुर की इस खूबसूरत इमारत का निर्माण राजा सवाई प्रताप सिंह ने साल 1799 में कराया था। सवाई प्रताप सिंह महाराजा सवाई जय सिंह के पोते थे। माना जाता है कि प्रताप सिंह भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। इसलिए उन्होंने हवा महल का आकार भगवान कृष्ण के मुकुट जैसा बनवाया था।

उस दौरान राज्य में पर्दाप्रथा थी, इसलिए उन्होंने सैंकड़ों झरोखे और खिड़कियों वाले महल का निर्माण कराया था ताकि राजपूती महिलाएं उत्सव का आनंद ले सकें। महाराजा भूपाल सिंह द्वारा बनवाए गए खेतड़ी महल से प्रभावित होकर राजा सवाई प्रताप सिंह ने हवा महल को बनवाने का निर्णय लिया था। 

क्यों बनवाए गए थे सैकड़ों झरोखे?
हवा महल दो नामों को मिलाकर बना है, एक हवा और महल, यानि हवा का महल। इस इमारत के अदंर सैंकड़ों छोटे-छोटे झरोखे और खिड़कियां मौजूद है। इसे ताजी हवा के आने के लिए बनाया गया था। गर्मी के दिनों में यह राजपूतों का अहम ठिकाना हुआ करता था। इसके झरोखे से आने वाली ठंडी हवाएं इमारत को गर्मी के दिनों में ठंडी रखती थी। 

पांच मंजिलों की खासियत 
इस पांच मंजिला इमारत के वास्तुकार लाल चंद उस्ताद थे। हवा महल की पहली मंजिल पर एक शरद  मंदिर है, जो शाही उत्सव के लिए इस्तेमाल किया जाता था। दूसरा फ्लोर शरद मंदिर नाम से जाना जाता है। इसे रंगीन शीशों से दीवारों को सजाया गया है। इन पर जैसे ही लाल, हरा, पीला और गुलाबी रंगों से सूर्य की किरण पड़ती है, तो वह एक अद्भुत-सी रंगीन छवि दिखाई देती है। इसके अलावा तीसरी मंजिल का नाम है विचित्र मंदिर, जहां केवल शाही राज घराने को जाने की अनुमति हुआ करती थी। हवा महल की चौथी मंजिल को प्रकाश मंदिर के नाम से जाना जाता है। साथ ही पांचवी मंजिल को हवा मंदिर भी कहा जाता है।

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