भगवान के मंदिर में कई तरह के चढ़ावे आपने देखे होंगे। लेकिन आज हम आपको उस मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां चढ़ावे में काला सोना भगवान को दिया जाता है। हम बात कर रहे हैं सांवरिया सेठ मंदिर के बारे में, जहां भगवान को काला सोना चढ़ावे के रूप में मिलता है और यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। 

भारी संख्या में होती है अफीम की खेती 

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में अफीम की खेती भारी संख्या में होती है। जिसके लिए यह जगह काफी मशहूर भी मानी जाती है। अफीम को ही काला सोना भी कहा जाता है। जब भी इस फसल की पैदावार अच्छी होती है, तब यहां पर के किसान भगवान को अफीम यानी काला सोना चढ़ाते हैं। इसे जानकार आप को काफी चौंक गए होंगे कि आखिर ऐसा क्यों होता है?

सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं पट्टे 

राजस्थान के सबसे नामी जगहों में से एक चित्तौड़गढ़ में स्थित सांवरिया सेठ मंदिर में आसपास भारी संख्या में किसान रहते हैं। हरेक साल अफीम की खेती करने के लिए सरकार के द्वारा इन्हें पट्टे भी जारी किए जाते हैं। कई बार खराब मौसम के कारण अफीम की फसल को भारी संख्या में नुकसान भी झेलना पड़ता है। फसलों को नुकसान होने से बचाने के लिए किसान सांवरिया सेठ मंदिर में भगवान से मन्नत मांगते हैं कि उनकी फसल को हानि न हो और अच्छी मात्रा में इसका ऊपज हो।

मंदिर के दानपात्र से करोड़ों का निकलता है काला सोना 

यहां के किसान सांवरिया सेठ के मंदिर में जाकर अपनी फसल को चढ़ाते हैं और इसकी कामना करते हैं कि उनकी खेती अच्छी तरह से हो। जिसके लिए वो अफीम को चढ़ावे के रूप में देते हैं। वहीं, इस मंदिर के दानपात्र से भारी संख्या में अफीम यानी काला सोना निकलता है, इनकी कीमत करोड़ों रुपए होती है। इतना ही चांदी के डोडे भी इस मंदिर में स्थित भगवान को चढ़ाया जाता है। हरेक महीने करोड़ों रुपए इस मंदिर के दान पेटी से निकलता है।