Rajasthan Temples: राजस्थान जो अपनी संस्कृति के लिए जाना जाता है, जहां के मंदिर भी इस संस्कृति का एक हिस्सा हैं। वहीं यहां के कुछ ऐसे भी मंदिर है, जहां जाने से पहले लोगों को अपनी सुरक्षा के बारें में सोचना पड़ता है।

अक्सर आपने एक कहावत तो सुनी होगी कि ‘जान हथेली पर रखकर चलना’ यानी कि कहीं से कभी भी खतरा आ सकता है और कुछ भी हो सकता है। जिसको लेकर भक्तों के मन में जाते समय ये एक डर बना रहता है तो चलिए जानते है ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में जिनमें खतरे होने के पीछे क्या कारण हैं।

अलवर का पांडुपोल मंदिर 

अलवर का पांडुपोल मंदिर के जो घने जंगल और पहाड़ पर स्थित है, जिसको लेकर भक्तों की ऐतिहासिक और धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है। यह मंदिर खतरों से भरा हुआ है, क्योंकि इस मंदिर का पूरा क्षेत्र सरिस्का टाइगर रिजर्व में आने की वजह से बाघ और अन्य वन्य जीव आसानी से दिख जाते हैं।

इस वजह से लोग जाने से पहले‌ सतर्कता बरतें है और साथ ही इस मंदिर में जाने के लिए पहाड़ी के रास्ते से जाना पड़ता है, जहां बारिश के समय जाना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है।

नीलकंठ महादेव

नीलकंठ महादेव का मंदिर अलवर में मौजूद सरिस्का अभ्यारण के कोर एरिया में अरावली की ऊंची पहाड़ी के घने जंगलों में बना हुआ है, जिस वजह से यहां अक्सर जानवरों का डर बना रहता है, जहां जाना खतरे से खाली नही और हाल ही में घटित कई घटनाओं ने लोगों को और ज्यादा डरा दिया है।

कुंभलगढ़ फोर्ट का शिव मंदिर

कुंभलगढ़ फोर्ट के पास शिव मंदिर , जो कि घने जंगलों में बनाया गया है हालांकि इस मंदिर के आसपास का क्षेत्र तेंदुओं के लिए जाना जाता है, यहां अक्सर जानवरों को ऐसे ही घूमते फिरते देख लिया जाता है। इसलिए यहां जानवरों के द्वारा हमले का खतरा हमेशा बना रहता है।

प्रशासन द्वारा जानवर और इंसान के बीच काफी दूरी रखी गई है लेकिन फिर भी भक्तों के मन में इनको लेकर डर बना रहता है, क्योंकि उनका डर  सही भी है कि जानवरें का क्या पता कितनी दूरी से हमला कर दें।

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