Shila Mata Mandir: राजस्थान के आमेर में स्थित शिला देवी मंदिर की मान्यतांए राजस्थान समेत पूरे देशभर में है। माना जाता है जो भी व्यक्ति अपनी बिगड़ी मां के आगे रखकर माता उसके सभी कष्ट हर लेती है। मंदिर जयपुर शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है। माता के दर्शन करने के लिए हर साल लोग यहां आते है लेकिन नवरात्रि के मौके पर यहां भक्तों का जमवाड़ा लग जाता है।
मंदिर का इतिहास
इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर आपको एक पुरातत्वीय ब्यौरा दिखाई देगा, ऐसा माना जाता है कि माता की मूर्ति को राजा मानसिंह बंगाल से लाए थे। मुगल बादशाह अकबर ने उन्हें तत्कालीन राजा केदार सिंह को हराने के लिए बंगाल भेजा था। युद्ध में अपनी जीत के लिए मानसिंह ने देवी की मूर्ती का आशीर्वाद लिया था।
देवी ने मानसिंह के सपने में आकर केदार सिंह से मुक्त होने की बात की थी। युद्ध में जीतने के बाद मानसिंह ने मूर्ती को केदार सिंह से लेकर उसकी स्थापना की थी। ऐसा भी कहा जाता है कि माता की मूर्ति मानसिंह को बंगाल के समुद्र तट पर मिली थी जिसके बाद वे उसे आमेर किले पर ले आए थे।
गुस्से में टेढ़ी कर ली थी गर्दन
इस मंदिर में स्थित शिला माता का मुंह थोड़ा टेढ़ा है क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार कई वर्षों पहले मंदिर में देवी को हमेशा से नर की बलि दी जाती थी, लेकिन एक बार गलती से राजा मानसिंह ने नर के बदले पशु बलि दे दी थी, जिससे माता गुस्सा होकर अपनी गर्दन टेढ़ी कर ली थी।
कुल देवी के रूप में होती है पूजा
जयपुर के कछवाहा राजपूत मां शिला देवी को अपनी कुल देवी के रूप में पूजते है। माना जाता है कि आमेर जिले में पहले मीणाओं का राज था इसी कारण से यहां मीणाओं की कुलदेवी हिंगला देवी की मूर्तियां भी स्थापित हैं।