Shila Mata Mandir: पिंकसिटी के नाम से मशहूर जयपुर सुंदर जगहों और ऐतिहासिक धरोहर के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। पूरी दुनिया से सैलानी यहां पर घूमने के लिए आते हैं। यहां पर आमेर के किले में स्थापित मां शिला देवी मंदिर अपने चमत्कार के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां पर महिषासुर मर्दन करती हुई मातारानी अपने भक्तों को दर्शन देती हैं। यह मंदिर जयपुर वालों के लिए आराध्य है। हर एक वर्ष नवरात्रि के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। आइए इसके बारे में जानते हैं।

नवरात्रि में लगता है भक्तों का तांता 

आमेर किले में स्थित शिला माता मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का एक बड़ा केंद्र बना हुआ है। नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक यहां पर भारी संख्या में भक्त आते हैं। आसपास से भी लोग यहां आते हैं। माता के मंदिर में कोई दिया लेकर तो कोई दंडवत करते हुए दर्शन करने आते हैं। महिषासुर मर्दानी के रूप में शिला देवी की मूर्ति बनी हुई है। सदैव वस्त्रों और लाल गुलाब के फूलों से ढंकी हुई प्रतिमा का केवल मुंह और हाथ दिखाई पड़ता है। इसमें माता, महिषासुर को एक पैर से दबाकर दाहिने हाथ के त्रिशूल से छाती पर वार कर रही हैं। यह मूर्ति चमत्कारी मानी जाती है।

मानसिंह प्रथम ने लाई थी देवी की मूर्ति 

इस मंदिर के इतिहास को लेकर यह बताया जाता है कि शिला माता की मूर्ति एक शिला के रूप में मिली थी। सन 1580 ईसवी में इस शिला को आमेर के शासक राजा मानसिंह प्रथम बंगाल के जासोर राज्य पर विजय हासिल करके आमेर लेकर वापस लौटे थे। उन्होंने यहां के फेमस कलाकारों और शिल्पकारों से महिषासुर मर्दन करती हुई माता के रूप में उत्तीर्ण करवाया।

प्रतिपादित के राज्य में केदार राजा से युद्ध करने पर जब वह पहली बार फेल हो गए, उस समय उन्होंने मां काली की उपासना की थी। मां काली ने खुश होकर उनके सपने में उनसे अपने उद्धार का वचन ले लिया और उन्हें विजई होने का वरदान दे दिया। उसी समय से समुद्र में शिला के रूप में पड़ी हुई यह प्रतिमा महाराजा द्वारा आमेर लाई गई और शिला देवी के नाम से उनकी स्थापना की गई।