Shree Shakambhari Mandir: राजस्थान की सांभर झील के बीचों-बीच बने मां शाकंभरी का मंदिर आस्था का प्रतीक है। यहां सालाना हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं। नवरात्री के नौ दिनों में यहां माता के भक्तों का ताता लगता है। शाकंभरी माता को चौहान वंश की कुलदेवी माना जाता है। साथ ही 116 गोत्र के लोग भी माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं। माना जाता है कि मुगल शासक जहांगीर ने इस चमत्कारी मंदिर में शीश झुकाया था। पहाड़ी पर बनी छतरी आज भी इसका प्रमाण देती हैं।   

झील के बीचों-बीच बना है यह अनोखा मंदिर 

पिंक सीटी जयपुर से लगभग 90 किलोमीटर दूर यह मंदिर 'सांभर झील' के बीच में बना हुआ है। मुगल शासक जहांगीर ने यहां दर्शन करने के बाद पहाड़ी पर छतरी का निर्माण कराया था जो आज भी ऐतिहासिकता की गवाही देती हैं।

चमत्कार देख चौंक गया था यह मुगल शासक  

माना जाता है कि मुगल शासक जहांगीर ने जब इस मंदिर के बारें में सुना था, तब वह खुद इस मंदिर के चमत्कार को देखने आया था। देवी के चमत्कार को देखने के लिए उसके यहां जल रही अखंड ज्योत (दीपक) पर सात तवे रखने का आदेश दिया था। तवे रखने के बावजूद यह ज्योत जलती रही जिसे देखकर वह चौंक गया और जहांगीर ने श्रद्धा से माता के आगे अपना सिर झुकाया और पहाड़ी पर एक छतरी का निर्माण कराया था। 

राजा वासुदेव से जुड़ी रोचक कहानी 

चौहान वंश के महाराजा वासुदेव चौहान माता शाकंभरी के बहुत बड़े भक्त थे। मान्यता है कि मां ने राजा को वरदान दिया था जिसके कारण ही सांभर झील का निर्माण कराया गया था। खारे पानी की इस झील में नमक पैदा किया जाता है। माता ने राजा की भक्ति से खुश होकर मनचाहा वरदान मांगने को कहा था, जिसके बाद राजा ने झील की इच्छा माता के सामने रखी थी।