Shri Nakoda Jain Temple: जैन धर्म के प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक श्री नाकोड़ा जी मंदिर 24वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का ऐतिहासिक मंदिर है। राजस्थान के बाड़मेर जिले के नाकोड़ा गांव में स्थित यह तीर्थस्थल भारत में सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थस्थल माना जाता है। पहले इस गांव को नगरा, वीरमपुरा और महेवा के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद इसे बदल कर गांव नाकोड़ा पार्श्व जैन मंदिर के नाम से मशहूर हो गया। 

मंदिर से जुड़ी जानकारी 

बालोतरा रेलवे स्टेशन से 13 किमी और मेवाड़ शहर से 1 किमी दूर एक 1500 फीट की ऊंचाई पर एक पहाड़ी पर स्थित यह प्राचीन मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक माना जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान पार्श्वनाथ के जन्म कल्याणक दिवस पर यहां आते हैं, माना जाता है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है।  

इस प्राचीन मंदिर में आपको कई मूर्तियां देखने को मिलेंगी, जिनमें काले पत्थर से बने भगवान पार्श्व (तीथंकर) भी शामिल हैं। तीसरी शताब्दी के दौरान, वीरसेन और नाकोरसन ने जैन समुदाय के लिए इस पवित्र मंदिर का निर्माण करवाया था। मूर्ति को नाकोडा गांव ने खरीदा था, इसलिए इसका नाम नाकोडा पार्श्वनाथ मंदिर के नाम पर रखा गया।

मंदिर का इतिहास 

इतिहासकारों के मुताबिक श्री नाकोजा जी मंदिर का निर्माण तीसरी शताब्दी में वीरसेन और नाकोरसन के द्वारा हुआ था, लेकिन कई लोग मानते हैं कि इसका निर्माण आचार्य स्तुलभद्र ने कराया था। बता दें कि सोलंकी राजवंश ने 10वीं से 13वीं शताब्दी तक गुजरात और राजस्थान पर शासन किया था, इस दौरान उन्हेंने कई मंदिरों की स्थापत्य शैली और भव्यता में कई तरह के बदलाव किए थे।

इसका उल्लेख मंदिर के परिसर में रखे 246 शिलालेख में भी मिलता है। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में आचार्य श्री विजय हिमाचल सूरी ने नाकोड़ा गांव में छुपाई गई भगवान पार्श्व की मूर्ति की जगह पर अन्य तीर्थंकरों के साथ नाकोड़ा भैरव जी मंदिर की स्थापना की थी।