Devi Mata Mandir : राजस्थान में कई ऐसे मंदिर हैं जहां भक्तों की भावना बहुत अलग तरीके से जुड़ी हुई है. इन मंदिरों की ऐसी मान्यता है कि जो कोई अपनी मन्नत लेकर इन मंदिरों में जाएगा, उसकी मुराद माता रानी जरूर सुनेगी. राज्य के कुछ ऐसे देवी मंदिर है जहां माता को शराब का भोग लगता है. माता रानी शराब का प्रसाद पाकर खुश होती है और भक्तों की इच्छा पूरी करती है.

आमेर का शीला माता मंदिर
जयपुर शहर के पास किला है जहां शीला माता का मंदिर स्थित है, यहाँ देवी माता की काली रूप की पूजा अर्चना होती है, जयपुर के राजा मानसिंह जब केदार से हार गए थे, तब उन्हें काली माता से विजय की प्रार्थना की, देवी माँ ने रात में मानसिंह के सपने में दर्शन दिया और उनको जीत का वरदान दिया। राजा मान सिंह को जीत मिलन पर  माता का मंदिर अपने महल में बनवा लिया, ये वहीं मंदिर जिसमें  शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है, नवरात्रि के दौरान यहां  पूजा अर्चना की जाती हैं।

नागौर का भुवाल माता मंदिर

राजस्थान के नागूर जिले में मेड़ता के पास माता भुवाल का भव्य मंदिर है, माता के इस मंदिर में भी शराब का भोग लगाया जाता है, जब भक्त अपनी आंखें बंद करके मां से सामने शराब का कप तुरंट ही खाली हो जाता है, जो भी शराब बची रहती है, वो वही पर भैरव मंदिर पर चढ़ाया जाता है। माता के इस मंदिर को डाकिया ने बनवाया था, ये भी मान्यता है कि एक पेड़ के नीचे माता अपने आप प्रकाशित हुई जिसके बाद डाकिया ने इस मंदिर को वहां बनवाया. नवरात्रि के समय यहां भक्तों की काफी लंबी लाइन रहती है.

टोंक का दूणजा माता मंदिर 

टोंक से 40 किमी दूर दूणी गांव में दुणजा माता का मंदिर है, टोंक से देवली रोड पर 20 किमी आगे चलकर एनएच से 20 किमी अंदर दूणी गांव है, वहाँ पर माता रानी का मंदिर जिसका अपने आप में बहुत महत्व है,  यहां भी माता को शराब का भोग लगाया जाता है,  माता रानी का ये मंदिर करीब 900 साल पुराना है,  ये मंदिर की मान्यता है कि यहां देवी माता खुद ही पत्थर के रूप में प्रगति हुई थी,  पहले खुले में शराब का भोग लगाया जाता है लेकिन कुछ सालों से अब तक शराब का भोग लगाते समय मंदिर के पुजारी पर्दा डाल देते है, माता दुणजा भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करती हैं।

इसे भी पढ़े:-  Rajsamand Temple: राजस्थान के इस पेड़ के नीचे झूला झूलती थी नौ देवियां, दूध और दही से सिंचा जाता है वृक्ष