Sri Kalyanji Mandir: हमारे देश में ऐसे कई मंदिर बने हुए हैं, जो अपनी कलाकृतियों के लिए जाने जाते हैं। वहीं कई ऐसे चमत्कारी मंदिर हैं, जिसके पीछे का कारण आज भी लोगों को नहीं पता है। कुछ ऐसे मंदिर हैं, जिसके इतिहास के बारे में किसी को कुछ नहीं पता है, केवल उससे जुड़ी कथाएं बताई जाती हैं। ऐसे ही मंदिरों में से एक है राजस्थान के टोंक जिले का अद्भुत 'कल्याण जी' का मंदिर। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण किस सन में हुआ और किसके द्वारा हुआ था इसके बारें में कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। कहा जाता है कि साल 1527 में इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया था।
मंदिर से जुड़ी कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार इंद्र देव के लोक में अप्सराएं नृत्य कर रही थीं। इन अप्सराओं में से एक अप्सरा उर्वशी अचानक हंसने लगी, जिससे इंद्र देव को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने उर्वशी को 12 साल तक पृथ्वी लोक पर रहने का श्राप दिया। इसके बाद उर्वशी सप्त ऋषियों की सेवा करने के लिए उनके आश्रम में रहने लगी। सेवा से खुश होकर ऋषियों ने उसे मुक्ति का रास्ता दिखाते हुए राजा डिग्व के यहां भेजा। उर्वशी वहां घोड़ी का भेष बदलकर रहने लगी और सभी बाग के वृक्षों के खाने लगी। जब राजा ने इस बात का पता लगाया तब उन्होंने उर्वशी को अपने असली रूप में आने को कहा अप्सरा का असली रूप देखकर राजा को उससे प्यार हो गया।
उर्वशी ने राजा से कहा कि यदि आपको मुझे जीतना हैं, तो आपको इंद्रदेव से युद्ध करना होगा। राजा युद्ध के लिए तैयार हो गया। युद्ध में बुरी तरह हारने के बाद उर्वशी ने उन्हें कुष्ठ रोग होने का श्राप दिया। इस श्राप से मुक्त होने के लिए राजा ने भगवान विष्णु की तपस्या की और उनसे इस रोग से बचने का उपाए मांगा।
भगवान विष्णु ने उन्हें कहा कि उसे समुद्र में उनकी एक मूर्ति मिलेगी, जिससे उसके सभी रोग दूर हो जाएंगे। मूर्ती मिलने के बाद राजा के सभी दुख नष्ट हो गए और उसने फिर इस मूर्ति की स्थापना कराई और तभी इस मंदिर का नाम कल्याण जी पड़ा। आज भी इस प्राचीन मंदिर की मान्यता है कि जो भी व्यक्ति यहां आकर दर्शन करता है उसके सभी रोग दूर जाते हैं।